क्या न्यायाधीश जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाना दुर्भाग्यपूर्ण है?

Click to start listening
क्या न्यायाधीश जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाना दुर्भाग्यपूर्ण है?

सारांश

पूर्व न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा ने 100 से अधिक सांसदों द्वारा न्यायाधीश जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि इस तरह की मानसिकता न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खतरा है। क्या सांसदों के इस कदम का न्यायपालिका पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा?

Key Takeaways

  • महाभियोग प्रस्ताव
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता
  • राजनीतिक दबाव
  • घुसपैठियों का मुद्दा
  • लोकतंत्र की बुनियाद

नोएडा, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मंगलवार को, 100 से अधिक विपक्षी सांसदों ने मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जीआर स्वामीनाथन को हटाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को नोटिस सौंपा। पूर्व न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

पूर्व न्यायमूर्ति एसएन ढिंगरा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि सांसदों को न्यायाधीशों के स्वतंत्र रूप से निर्णय देने पर भी एतराज है। न्यायाधीश जीआर स्वामीनाथन ने एक निर्णय दिया कि किसका क्या अधिकार है। इस पर सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली, यह हैरानी की बात है।

उन्होंने कहा कि अगर ऐसे सांसद देश में हों तो न्यायपालिका कैसे स्वतंत्र रह सकती है? 100 से अधिक सांसदों ने हस्ताक्षर किया है। इससे यह समझ में आता है कि इनके लिए न्यायपालिका का कोई महत्व ही नहीं है। इनकी सोच ऐसी हो गई है कि निर्णय हमारी पसंद का हो या हम आपको जज ही नहीं रहने देंगे।

पूर्व न्यायमूर्ति एसएन ढिंगरा ने कहा कि इस तरह की मानसिकता बेहद खतरनाक है। मुझे हैरानी है कि इन लोगों ने राम मंदिर के फैसले के वक्त यह कदम क्यों नहीं उठाया, क्योंकि वह सुप्रीम कोर्ट के जज थे। राम मंदिर मामले में भी अगर कहा जाता कि फैसला राम मंदिर के पक्ष में है, तो हम महाभियोग प्रस्ताव लाएंगे।

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका पर इससे बड़ा आघात कुछ नहीं हो सकता। सांसद का कर्तव्य है कि वह देखें कि देश की न्यायपालिका स्वतंत्र, निष्पक्ष और निडर होकर काम कर सके। वही सांसद महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।

पूर्व न्यायमूर्ति एसएन ढिंगरा ने घुसपैठियों के मुद्दे पर कहा कि कुछ बुद्धिजीवियों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखा कि आपकी टिप्पणियां भारतीय संविधान के विपरीत हैं। मैं सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या ये लोग अपने घरों में बाहरी लोगों को आने देंगे? अगर इनमें साहस है तो आगे आकर कहें कि हम लोग उन्हें अपने घर में रहने देंगे।

उन्होंने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि क्या ये लोग देश को धर्मशाला समझते हैं? जो सुविधा देश के नागरिकों को मिल रही है, वे चाहते हैं कि घुसपैठियों को भी मिले?

उन्होंने कहा कि घुसपैठिये के रूप में कौन आता है? जो देश के अंदर रहने के योग्य नहीं है या मेहनत नहीं करना चाहता, या वे लोग आते हैं जो भारत में अशांति फैलाना चाहते हैं, ड्रग्स सप्लाई करना चाहते हैं या आतंकवाद फैलाना चाहते हैं। ऐसे लोगों को यहां क्यों जगह दी जाए? अगर किसी को शरणार्थी की तरह रहना है तो उसी तरह से रहें।

पूर्व न्यायमूर्ति ने कहा कि वे गैरकानूनी रूप से देश में क्यों आ रहे हैं? क्योंकि इनकी मंशा ठीक नहीं है। अगर इन्हें अपने देश में कोई दिक्कत है तो उन्हें अपने यहां रहकर अपनी लड़ाई लड़नी चाहिए। यह नहीं कि लड़ाई लड़ने की बजाय हम अपना देश या अपनी लड़ाई छोड़ दें। इनका मकसद हमारे देश में अस्थिरता लाना है। मुस्लिम बहुलता बढ़ाना भी इनका मकसद है। इसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश से उन्हें मदद मिलती है।

Point of View

NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

महाभियोग प्रस्ताव क्या है?
महाभियोग प्रस्ताव एक विधायी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी न्यायाधीश या सरकारी अधिकारी को उनके कार्यों के लिए हटाया जा सकता है।
पूर्व न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा कौन हैं?
पूर्व न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा एक प्रमुख न्यायाधीश हैं जिन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों का निर्णय किया है।
क्या सांसदों का यह कदम न्यायपालिका को प्रभावित करेगा?
हां, इस प्रकार की गतिविधियाँ न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता क्यों महत्वपूर्ण है?
न्यायपालिका की स्वतंत्रता लोकतंत्र की नींव है, जो सुनिश्चित करती है कि न्याय का कार्य निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से हो।
घुसपैठियों के मुद्दे पर पूर्व न्यायमूर्ति का क्या कहना है?
पूर्व न्यायमूर्ति ने कहा कि घुसपैठियों के लिए देश में कोई स्थान नहीं होना चाहिए और उन्हें अपने देश में समस्याओं का सामना करना चाहिए।
Nation Press