क्या ऑपरेशन सिंदूर गेम चेंजर साबित हुआ है? : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
 
                                सारांश
Key Takeaways
- ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट करना है।
- यह भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक है।
- राजनाथ सिंह द्वारा इसे गेम चेंजर कहा गया है।
- भारत की सुरक्षा रणनीति में एक नया मोड़ लाया गया है।
- पाकिस्तान के नागरिकों को सुरक्षित रखते हुए ऑपरेशन का संचालन किया गया।
नई दिल्ली, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राज्यसभा में मंगलवार को पहलगाम के आतंकवादी हमले के बाद शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा का आगाज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संचालित यह ऑपरेशन एक गेम चेंजर साबित हुआ है।
राजनाथ सिंह ने बताया कि सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर में टीआरएफ के तीन आतंकवादियों को मार गिराने में हमारी सैन्य बलों ने सफलता प्राप्त की है। यह वही टीआरएफ है जिनके आतंकियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम क्षेत्र में 26 निर्दोष लोगों की बर्बर हत्या की थी। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों को सदन के माध्यम से बधाई दी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट करना था। यह स्पष्ट संदेश देना था कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाता है। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन को केवल वर्तमान के संदर्भ में नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह भारत के भविष्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर पर केवल विराम लगाया गया है, पूर्ण विराम नहीं। कुछ लोग मानते हैं कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं, इसलिए उनसे बातचीत करना बंद नहीं किया जाना चाहिए। इसके परिणामस्वरूप हम अपने कई नागरिकों को खो चुके हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा विजन है कि हम ईंट का जवाब पत्थर से देंगे। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि आज नागपंचमी है और इस दिन नागों को दूध पिलाना ठीक है, लेकिन रोज़ ऐसा करना उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने से पहले हमारी सेनाओं ने सभी पहलुओं का गहराई से अध्ययन किया। हमारे पास कई विकल्प थे, लेकिन हमने वह विकल्प चुना जिसमें आतंकवादियों और उनके ठिकानों को अधिकतम नुकसान पहुंचाना था, जबकि पाकिस्तान के आम नागरिकों को कोई क्षति न पहुंचे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि कोई भी व्यक्ति या राष्ट्र अपने चरित्र के अनुसार किसी भी मुद्दे पर प्रतिक्रिया करता है, लेकिन इसकी प्रतिक्रिया भी उसके चरित्र को प्रभावित करती है। इसलिए कोई भी बड़ा कदम उठाते समय वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की संभावनाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों का उदाहरण देते हुए कहा कि यह हमारे लिए री डिस्कवरी ऑफ इंडिया थी।
उन्होंने कहा कि हमारे क्रांतिकारियों ने यह साबित किया कि हम कायर नहीं, बल्कि अपने आत्मसम्मान और सुरक्षा के लिए लडऩा जानते हैं। यह एक कटु सत्य है कि लगभग 800 वर्षों की गुलामी के बाद यह मान लिया गया था कि भारतीय जनता स्वभाव से आक्रामक नहीं है।
उन्होंने कहा, “मैं री डिस्कवरी शब्द का प्रयोग इसलिए कर रहा हूं क्योंकि हमारे देवी-देवताओं ने हमेशा शस्त्र धारण किया और शत्रुओं का नाश किया। हमारे इतिहास में एक ऐसा समय आया जब हिंदुस्तानियों को कमजोर समझा जाने लगा, लेकिन अब हम अपनी पहचान को पुनर्परिभाषित कर रहे हैं और ऑपरेशन सिंदूर उसी का एक उदाहरण है।”
आतंकियों ने भारत को एक सॉफ्ट स्टेट समझ रखा था। उनके लिए भारत पर आतंकवादी हमला करना एक तरह से लॉ कॉस्ट और हाई रिटर्न का मामला बन गया था। पहले की सरकारें इस स्थिति को चुपचाप देख रही थीं, इसलिए आतंकियों को लगा कि भारत एक सॉफ्ट स्टेट बन चुका है। उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष को सत्ता पक्ष की कोई नीति पसंद नहीं है, तो विपक्ष को एक वैकल्पिक योजना देनी चाहिए।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                             
                             
                             
                            