क्या पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ न मिलाना सिर्फ तमाशा है? कांग्रेस सांसद इमरान मसूद

सारांश
Key Takeaways
- भारत ने एशिया कप में 9वीं बार खिताब जीता।
- भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाया।
- इमरान मसूद ने इसे तमाशा बताया।
- भारत ने युद्ध के मैदान में भी पाकिस्तान का सामना किया।
- राजनीति और खेल का संबंध महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान पर शानदार जीत दर्ज करते हुए 9वीं बार खिताब अपने नाम किया। इस टूर्नामेंट में भारत ने तीन बार पाकिस्तान को हराया। इस दौरान भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तान के खिलाड़ियों के साथ हाथ नहीं मिलाया। फाइनल में पीसीबी के प्रमुख के हाथों ट्रॉफी भी नहीं ली। इस पूरे घटनाक्रम को कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने तमाशा करार दिया है।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि हम तो पहले दिन से पाकिस्तान के साथ मैच खेलने के खिलाफ थे, लेकिन फिर भी टीम इंडिया ने पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेला।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि आपको सिर्फ पैसों की परवाह है। आपने माहौल बनाया और मुनाफे के लिए उत्साह बेचा। इससे आप और पाकिस्तान दोनों ने लाभ उठाया, लेकिन आपको इस बात की परवाह नहीं कि 26 महिलाएं विधवा हो गईं।
भारत की जीत को पीएम मोदी की ओर से ऑपरेशन सिंदूर से जोड़ने पर उन्होंने ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि भारत ने युद्ध के मैदान में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी, लेकिन अमेरिका के दबाव में आकर युद्धविराम कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में बार-बार दावा कर रहा है कि उसने जीत हासिल की है। वह पूरी दुनिया में चिल्लाकर कह रहा है कि वो जीत गया। हमारी माताओं-बहनों का सिंदूर उजड़ा, और आप उनके साथ क्रिकेट खेल रहे हैं।
इमरान मसूद ने कहा कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलकर आप जश्न मना रहे हैं। ट्रॉफी न लेना और हाथ न मिलाना सिर्फ तमाशा है। क्रिकेट के बल्ले और गेंद से युद्ध नहीं लड़ा जाता। युद्ध तो बंदूक, तोप और हवाई जहाजों से लड़ा जाता है।
दिल्ली भाजपा के प्रदेश कार्यालय का उद्घाटन करते समय पीएम मोदी ने सिख दंगों का जिक्र किया। इस पर कांग्रेस सांसद ने कहा कि भाजपा दिल्ली ने कौन सा काम किया है? 1984 की बात कर रहे हैं, तब तो दिल्ली में भाजपा का वजूद ही नहीं था। भाजपा के पास दो सीटें थीं। वे ऐसी बातें करते हैं, कोई तथ्य नहीं होता। भाजपा का तब क्या वजूद था?