क्या प्रमुख मुद्दों पर चर्चा नहीं होना लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है? उदित राज

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क्या प्रमुख मुद्दों पर चर्चा नहीं होना लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है? उदित राज

सारांश

नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो गई है, जहां उदित राज ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। क्या लोकतंत्र को इस तरह से कमजोर किया जा रहा है? जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनकी राय।

Key Takeaways

  • सरकार प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने से बच रही है।
  • नेशनल हेराल्ड मामला दबाव की राजनीति का उदाहरण है।
  • राज्यसभा में वंदे मातरम और जय हिंद पर रोक से लोकतंत्र को खतरा है।

नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से प्रारंभ हो गया है। विपक्ष के नेता सरकार पर एसआईआर की चर्चा से भागने का आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस के नेता उदित राज ने कहा कि सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहती, जो हमारे लोकतंत्र पर एक गहरा आघात है।

संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत पर उन्होंने कहा, "सत्तापक्ष चाहेगा तो संसद का सत्र चलेगा। पहले ऐसा समय था जब संसद का सत्र लगभग 150 दिनों तक चलता था। आज मुश्किल से 50-60 दिनों तक चलता है, और उसमें भी यह ठीक से नहीं चलता है। अब सवाल उठता है कि जिस कार्य के लिए संसद है, क्या वह कार्य हो रहा है? पूरी तरह से डिक्टेटरशिप देखने को मिल रही है। प्रमुख मुद्दों पर चर्चा नहीं हो रही है। जो वातावरण बन गया है, वह हमारे लोकतंत्र पर एक सीधा प्रहार है।"

कांग्रेस नेता उदित राज ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए नेशनल हेराल्ड मामले को पूरी तरह से झूठा बताया। उन्होंने कहा, "1937 में नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना हुई। यह अखबार भारत की आजादी का समर्थन करने के लिए स्थापित किया गया था और ऐसा हुआ भी। जब यह अखबार चल नहीं पा रहा था, तब कांग्रेस पार्टी ने लोन दिया, जिसमें कर्मचारियों के लिए वेतन और भत्ते शामिल थे। इसके बदले में कोई जमीन सोनिया गांधी, राहुल गांधी और सैम पित्रौदा को नहीं दी गई।"

उन्होंने कहा, "यदि पार्टी के अखबार को चलाने के लिए ऐसा किया गया, तो यहाँ पर कौन सा अपराध हुआ? यदि कोई जमीन ट्रांसफर हुई होती, तो मामला समझ में आता। यह दबाव और डराने की राजनीति की जा रही है।"

राज्यसभा में वंदे मातरम और जय हिंद जैसे शब्दों पर रोक पर उदित राज ने कहा, "अब पूरा लोकतंत्र खतरे में है। पहले के प्रावधानों का बिल्कुल पालन नहीं हो रहा है। वंदे मातरम् और जय हिंद पर सरकार बैकफुट पर है। इसके अलावा चंडीगढ़ के विशेष प्रावधान के मुद्दे पर भी सरकार पीछे हट रही है। यह लोकतंत्र नहीं बल्कि किसी राजा का शासन लग रहा है।"

Point of View

हमें यह समझना होगा कि संसद का कार्य केवल कानून बनाना नहीं है, बल्कि जनता की आवाज़ सुनना और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना भी है। उदित राज के आरोप गंभीर हैं, और हमें लोकतंत्र की मजबूती के लिए सच्चाई को जानने की जरूरत है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

उदित राज ने सरकार पर क्या आरोप लगाया?
उदित राज ने कहा कि सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहती, जो लोकतंत्र पर एक गहरा आघात है।
नेशनल हेराल्ड मामले में उदित राज की क्या राय है?
उदित राज ने नेशनल हेराल्ड मामले को पूरी तरह से झूठा बताया और कहा कि यह दबाव और डराने की राजनीति है।
राज्यसभा में वंदे मातरम और जय हिंद पर रोक के बारे में क्या कहा गया?
उदित राज ने कहा कि अब पूरा लोकतंत्र खतरे में है और सरकार वंदे मातरम और जय हिंद पर बैकफुट पर है।
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