क्या राहुल गांधी ने छह दिन में बिहार की सभी समस्याओं को समझ लिया?

सारांश
Key Takeaways
- प्रशांत किशोर का बयान बिहार में बदलाव की इच्छा को दर्शाता है।
- राहुल गांधी का दौरा संक्षिप्त था, लेकिन चर्चा में रहा।
- नीतीश कुमार ने कई सामाजिक कल्याण योजनाएं लागू की हैं।
- बिहार की जनता अब जन सुराज जैसे विकल्पों की तलाश कर रही है।
- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय चुनाव प्रक्रिया को सरल बनाएगा।
पूर्णिया, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर अपनी बिहार बदलाव यात्रा के दौरान सोमवार को पूर्णिया स्थित रूपौली विधानसभा में ‘बिहार बदलाव जनसभा’ का आयोजन करने पहुंचे। रूपौली हाई स्कूल मैदान में आयोजित इस जनसभा को संबोधित करने के बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर कटाक्ष किया कि राहुल गांधी भी आए और मात्र छह दिन में बिहार की सभी समस्याओं को समझकर चले गए।
प्रशांत किशोर ने कटिहार के कांग्रेस सांसद तारिक अनवर द्वारा बाढ़ के निरीक्षण के दौरान कंधे पर चढ़कर पहुंचने को कांग्रेस नेताओं की राजशाही मानसिकता का प्रतीक बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अभी तो लोगों ने वोट नहीं दिया है, केवल जन सुराज की सभाओं में शामिल होना शुरू किया है, जिससे बदलाव की झलक दिखने लगी है। नीतीश कुमार ने बुजुर्गों की पेंशन 400 से 1100 रुपये तक बढ़ाई है। आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय, रसोइयों की सैलरी बढ़ी है और बिजली 125 यूनिट तक मुफ्त हो गई है। हाल ही में आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं का भी मानदेय बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि यह जनता का डर है कि नीतीश सरकार ऐसे सारे काम कर रही है। पहले लोग लालू यादव के डर से वोट देते थे, लेकिन अब उन्हें दिख रहा है कि जनता को जन सुराज के रूप में एक विकल्प मिल गया है। प्रशांत किशोर ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी स्वागत किया, जिसमें चुनाव आयोग को एसआईआर के लिए आधार कार्ड को वैध दस्तावेज मानने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि हम पहले से कह रहे हैं कि अगर आधार है तो डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। चुनाव आयोग के पास नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं है, इसलिए किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा कि यदि कुछ नाम कट भी गए, तो भी बाकी लोग नीतीश कुमार और भाजपा को सबक सिखाने के लिए पर्याप्त हैं।