क्या केरल में 'सबरीमाला का सोना चोरी कर करोड़ों में बेचा गया' है? नेता प्रतिपक्ष सतीशन ने विजयन सरकार से मांगा जवाब

सारांश
Key Takeaways
- सबरीमाला मंदिर का सोना चोरी हुआ है।
- विपक्ष ने देवास्वोम बोर्ड के इस्तीफे की मांग की है।
- अदालत ने इस मामले में गंभीर टिप्पणियां की हैं।
- सरकार पर पाखंड का आरोप लगाया गया है।
- जनता का विश्वास तोड़ा गया है।
तिरुवनंतपुरम, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) वी.डी. सतीशन ने मंगलवार को गंभीर आरोप लगाया कि प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के सोने की परत चढ़ी द्वारपालक प्लेट्स को देवास्वोम बोर्ड और सरकार की मंजूरी से करोड़ों रुपये में बेच दिया गया।
केरल विधानसभा में भारी शोर-शराबे के बीच सत्र दिन भर के लिए समाप्त कर दिया गया। इसके तुरंत बाद पत्रकारों से बात करते हुए, नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक सतीशन ने कहा कि उच्च न्यायालय के निष्कर्षों ने विपक्ष के लंबे समय से चले आ रहे इस आरोप की पुष्टि की है कि सबरीमाला में "चोरी और बिक्री का एक गंभीर खेल" हुआ था।
उन्होंने कहा, "अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि जो हुआ वह एक गंभीर धोखाधड़ी थी। मूल स्वर्ण-चढ़ाई वाले द्वारपालक (संरक्षक देवता) के प्लेट (तांबे की प्लेट पर सोने की परत चढ़ाई गई थी) मंदिर से निकालकर ऊंची कीमत पर बेच दिए गए, जबकि उनकी जगह एक तांबे का सांचा चेन्नई भेज दिया गया। जब इसे वापस लाया गया, तो देवास्वोम बोर्ड ने वजन में अंतर पर ध्यान न देने का नाटक किया।"
सतीशन ने आरोप लगाया कि बोर्ड और सरकार ने जानबूझकर चोरी को छुपाया, वरना वरिष्ठ अधिकारी फंस जाते।
सतीशन ने आगे कहा, "सब कुछ जानते हुए भी, उन्होंने 2015 में सोने के अगले काम के लिए उसी उन्नीकृष्णन पोट्टी को फिर से नियुक्त किया।"
उन्होंने कहा कि विपक्ष ने इसलिए देवास्वोम मंत्री वी.एन. वासवन के इस्तीफे और बोर्ड को बर्खास्त करने की मांग की।
सतीशन ने कहा कि उच्च न्यायालय की आलोचना ने जता दिया है कि विपक्ष की चिंताएं जायज थीं।
उन्होंने पोट्टी द्वारा तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष एन. वासु को भेजे गए एक ईमेल का हवाला दिया, जिसमें एक जरूरतमंद महिला को मंदिर का बचा हुआ सोना दान करने की बात थी।
सतीशन ने कहा, "वह अय्यप्पन का सोना था। वासु, जिनके माकपा से संबंध हैं, वो इससे बेखबर नहीं हो सकते।" उन्होंने आगे कहा कि सत्तारूढ़ दल को यह बताना चाहिए कि अब मूल मूर्ति किसके महल में है।
उन्होंने सरकार पर न्यायिक अधिकार का इस्तेमाल करने में पाखंड का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "आज के तीन मंत्री, जिन्होंने कभी लवलीन मामले में सीबीआई जांच का आदेश देने पर मुख्य न्यायाधीश वी.के. बाली का अपमान किया था और उन्हें बाहर निकाल दिया था, अब अदालतों के प्रति सम्मान का उपदेश दे रहे हैं।"
सतीशन ने कहा कि "जब तक जवाबदेही तय नहीं हो जाती, सदन के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे।"
उन्होंने कहा, "सबरीमाला की पवित्रता भंग हुई है, भक्तों को धोखा दिया गया है और जनता का विश्वास तोड़ा गया है। शीर्ष पर बैठे लोगों को इस चोरी का जवाब देना होगा जिसने राज्य को शर्मसार किया है।"