क्या सपा प्रमुख जातीय संघर्ष कराने की कोशिश कर रहे हैं? : भाजपा नेता शिव महेश दुबे

सारांश
Key Takeaways
- जातीय संघर्ष का आरोप सपा पर लगाया गया है।
- कथावाचकों को सम्मानित करने का मामला तूल पकड़ रहा है।
- स्थानीय लोगों में भय और चिंता का माहौल है।
- राजनीतिक साजिशों का हिस्सा हो सकता है यह विवाद।
- पुलिस प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में रखा है।
इटावा, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक और उनके सहयोगियों द्वारा जाति के नाम पर की गई अमानवीय हरकत का मामला बढ़ता जा रहा है। भाजपा नेता शिव महेश दुबे ने इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं, दावा करते हुए कहा कि सपा प्रमुख जातीय संघर्ष को बढ़ावा देना चाहते हैं।
भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष शिव महेश दुबे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कथावाचकों को अपनी जाति छुपाकर किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए था। दो आधार कार्ड के मौजूद होने से यह स्पष्ट होता है कि ये लोग एक साजिश के तहत आए थे। उन्होंने कहा कि ऋतम्भरा, निरंजन ज्योति, और साक्षी जैसे कथावाचकों का भले ही ब्राह्मण जाति से कोई संबंध न हो, लेकिन उन्हें सम्मान दिया जाता है। चकरनगर ब्लॉक में यादव समाज की एक बेटी कथावाचिका है, जो जाति छुपाकर नहीं आई और ब्राह्मण समाज ने उसका सम्मान किया। इस घटना का कारण जाति नहीं है।
शिव महेश दुबे ने सपा पर आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में जातीय हिंसा को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है, और इसी कारण से दो कथावाचक भेजे गए हैं। अखिलेश यादव अपने समाज को भड़काकर यहाँ जातीय संघर्ष की स्थिति उत्पन्न करना चाहते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि सपा प्रमुख ने इन कथावाचकों को अपने कार्यालय बुलाकर सम्मानित करने का क्या औचित्य रखा। उनकी भाषा और पहनावे से साफ था कि वे कथावाचक नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि दादरपुर गांव में किसी भी निर्दोष के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।
वहीं, कथावाचकों पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली महिला रेनू तिवारी ने मीडिया से कहा कि यदुवंशी लोग हमारे गांव पर हमला करना चाहते थे, लेकिन पुलिस और मीडिया के कारण ऐसा नहीं हो सका। कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहायक संत सिंह यादव पर मुकदमा दर्ज करवाने वाले जयप्रकाश तिवारी ने बताया कि कथावाचक के पास फर्जी आधार कार्ड था, जिसके खिलाफ उन्होंने मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस प्रशासन ने उपद्रवियों को गांव में आने से रोक दिया, लेकिन उन लोगों ने पुलिस पर भी पथराव किया और पुलिस को गोली चलानी पड़ी। अब मुझे डर है कि कहीं ये लोग हम पर हमला न कर दें।