क्या सरकार गरीबों को उनकी आजीविका के अधिकार से वंचित कर रही है? : हरपाल चीमा
सारांश
Key Takeaways
- मनरेगा मजदूरों की आवाज उठाने के लिए अभियान शुरू किया गया है।
- मुख्यमंत्री का स्पष्ट समर्थन मजदूरों के हक में है।
- केंद्र सरकार पर आरोप है कि वह मनरेगा योजना को कमजोर कर रही है।
चंडीगढ़, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) ने राज्य के 10 लाख से अधिक मनरेगा मजदूर परिवारों की आवाज उठाने के लिए एक प्रमुख अभियान की शुरुआत की है।
'आप' के विधायक मनरेगा मजदूरों द्वारा भेजे गए पत्रों को लेकर विधानसभा के विशेष सत्र में उपस्थित हुए। इन पत्रों में उन मेहनती परिवारों की समस्याओं का उल्लेख है, जो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत अपनी आजीविका कमा रहे हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार ने इन पत्रों को केवल विधानसभा में पेश करने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इन्हें सीधे प्रधानमंत्री को भी भेजने का निर्णय लिया है।
इसका उद्देश्य केंद्र सरकार को मजदूरों की वास्तविक स्थिति से अवगत कराना और उनकी समस्याओं का तात्कालिक समाधान मांगना है।
पंजाब में मनरेगा मजदूर कई गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या मजदूरी के भुगतान में देरी है, जिससे गरीब परिवारों की आजीविका पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा, कई मजदूरों को समय पर काम नहीं मिलता, जिससे वे बेरोजगारी का सामना करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा निधि को समय पर जारी न करने के कारण योजना का कार्यान्वयन कमजोर पड़ जाता है और मजदूरों को अत्यधिक नुकसान होता है।
वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने मंगलवार को सदन में बोलते हुए केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह व्यवस्थित रूप से मनरेगा योजना को समाप्त कर रही है और गरीबों को उनकी आजीविका के अधिकार से वंचित कर रही है।
मनरेगा योजना में हाल ही में किए गए बदलावों और इसका नाम बदलकर 'विकसित भारत-जी राम जी' करने के खिलाफ एक प्रस्ताव के समर्थन में बोलते हुए चीमा ने इस कदम को हाशिए पर पड़े लोगों के लिए एक बड़ा खतरा बताया।
इस दौरान उन्होंने चरणजीत कौर नाम की एक महिला मजदूर का पत्र पढ़ा, जिसमें हजारों ग्रामीण मजदूरों की चिंताओं का उल्लेख किया गया था। उनके पत्र में यह चिंता व्यक्त की गई थी कि नियमों में बदलाव और केंद्रीकृत ग्राम सूचियों के कारण बच्चे शिक्षा और बुजुर्ग दवाइयों से वंचित रह जाएंगे।