क्या सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के लिए तैयार है, तो विपक्ष क्यों कर रहा है हंगामा?

सारांश
Key Takeaways
- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे चर्चा होगी।
- सरकार ने सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए समय निर्धारित किया है।
- विपक्ष पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया गया है।
- बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया।
- संसद में हंगामा और बहस के बीच की खींचतान प्रदर्शित होती है।
नई दिल्ली, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। संसद के मानसून सत्र के दौरान, सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा करने के लिए तैयार है। इस संदर्भ में, भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने विपक्ष पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के लिए लोकसभा और राज्यसभा में समय निर्धारित किया गया है, लेकिन विपक्ष इस पर चर्चा करने से बच रहा है।
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "जब विपक्ष लोकसभा में हंगामा कर रहा था, तब मैंने आसन से कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा करने और उन पर जवाब देने के लिए तैयार है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने बताया था कि आज अध्यक्ष के नेतृत्व में बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक होनी है, और हम सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में तय किया गया है कि सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा करेगी। लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे इस पर बहस होगी। मैं पूछता हूं कि विपक्ष इस पर हंगामा क्यों कर रहा है? क्या उनका मकसद सिर्फ हंगामा खड़ा करना है? जब सरकार कह रही है कि हम हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार हैं, तो राहुल गांधी क्यों आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है? मैंने खुद आसन से कहा था कि उन्हें अपने सदस्यों से आग्रह करना चाहिए और सदन को सुचारू रूप से चलने देना चाहिए।
जगदंबिका पाल ने बिहार में चल रहे एसआईआर के मुद्दे पर भी विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "जब सरकार हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है, तो वे नोटिस दे सकते हैं। यह ध्यान रखें कि एक साथ सभी मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकती। चाहे वह ऑपरेशन सिंदूर हो, एसआईआर हो, या अन्य कोई विषय, इस पर निर्णय बिजनेस एडवाइजरी कमेटी लेती है और सरकार सभी पर चर्चा के लिए तैयार है।"
ज्ञात हो कि संसद के मानसून सत्र के पहले दिन बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें विभिन्न विधेयकों और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए समय निर्धारित किया गया था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे चर्चा के लिए सहमति बनी है। इसके अलावा, ‘भारतीय डाक विधेयक’ पर लोकसभा में 3 घंटे की चर्चा का समय निर्धारित किया गया है।