क्या विदेशी प्रतिनिधिमंडलों से विपक्ष की मुलाकात न कराना सरकार द्वारा लोकतांत्रिक परंपरा को तोड़ना है?
सारांश
Key Takeaways
- विदेशी प्रतिनिधिमंडलों से विपक्ष की मुलाकातें लोकतंत्र की परंपरा हैं।
- सरकार पर आरोप है कि वह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर कर रही है।
- राहुल गांधी और अन्य सांसदों ने इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत आगमन से पूर्व, कांग्रेस के सांसदों ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह विदेशी प्रतिनिधिमंडलों से विपक्ष की मुलाकात नहीं करवा के लोकतांत्रिक परंपरा को तोड़ रही है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयानों का समर्थन करते हुए कांग्रेस सांसदों ने कहा कि सरकार लोकतंत्र को सुरक्षित नहीं रहने देना चाहती।
कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा, "हमारा देश अच्छी परंपराओं पर आधारित है और लोकतंत्र इन्हीं परंपराओं से बनता है। अगर राहुल ने यह कहा है, तो यह एक स्थापित लोकतांत्रिक प्रथा को दर्शाता है। यदि पहले विदेशी प्रतिनिधिमंडल से विपक्ष के नेताओं की मुलाकात होती थी, तो इसे बनाए रखना चाहिए था, क्योंकि इससे प्रजातंत्र और भी मजबूत होगा।"
कांग्रेस सांसद चमाला किरण कुमार रेड्डी ने कहा, "पिछले दस वर्षों में एनडीए सरकार ने सदन में विपक्षी नेताओं को कोई अवसर नहीं दिया है। सरकार को यह समझना होगा कि यह एक परंपरा है कि देश में आने वाले किसी भी विदेशी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के लिए विपक्ष के नेता को बुलाया जाए, क्योंकि इससे दुनिया को लोकतंत्र का सही रूप दिखाई देगा।"
सरकार पर निशाना साधते हुए किरण कुमार रेड्डी ने कहा, "वे लोकतंत्र को जीवित नहीं रहने देना चाहते। वे जितना संभव हो सके मशीनरी का उपयोग करके इसे पटरी से उतारना चाहते हैं, और उनका रवैया यह स्पष्ट करता है कि वे विपक्ष के नेता को देश में आने वाले अंतरराष्ट्रीय नेताओं या किसी भी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से मिलने नहीं दे रहे।"
कांग्रेस पार्टी के सांसद शशि थरूर ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह एक लोकतंत्र में अच्छा होगा कि हमारे देश में आने वाले नेताओं से विपक्ष के नेताओं की मुलाकात कराई जाए।
इससे पहले, "राहुल गांधी ने कहा कि बाहर से आने वाले प्रतिनिधिमंडलों के साथ नेता प्रतिपक्ष की मीटिंग होती है, जो हमेशा से होती आई है। लेकिन सरकार बाहर से आने वाले प्रतिनिधिमंडलों से कहती है कि नेता प्रतिपक्ष से न मिलें। नेता विपक्ष का बाहर से आए डेलिगेट्स से मिलना एक परंपरा है, लेकिन सरकार और विदेश मंत्रालय इसे फॉलो नहीं करते हैं।"