क्या एसआईआर सही है तो सरकार शीतकालीन सत्र में इस पर चर्चा नहीं करेगी? : जियाउर रहमान बर्क
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर पर चर्चा को लेकर विपक्ष का दबाव बढ़ रहा है।
- जियाउर रहमान बर्क ने सरकार से सवाल किया है।
- पारदर्शिता के लिए खुली चर्चा की आवश्यकता है।
- हिंदू-मुस्लिम धार्मिक स्थलों के निर्माण पर विचार।
- हलाल प्रमाणपत्रों को राजनीति का हिस्सा बनाया जा रहा है।
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष लगातार एसआईआर पर चर्चा के लिए सरकार पर दबाव बना रहा है और कार्यवाही बाधित हो रही है। इस पर समाजवादी पार्टी के नेता जियाउर रहमान बर्क ने कहा कि यदि एसआईआर सही है, तो सरकार चर्चा से बचने का प्रयास क्यों कर रही है?
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि उन्हें एसआईआर से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन “उसकी आड़ में विपक्ष के वोट काटने की रणनीति” से उन्हें गहरी नाराज़गी है। बर्क ने कहा कि इस मुद्दे पर संसद में खुलकर चर्चा होनी चाहिए, ताकि इसकी पारदर्शिता पर कोई सवाल न उठे।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर एसआईआर की प्रक्रिया पूरी तरह सही है, तो सरकार इससे भागने की कोशिश क्यों कर रही है? यदि विपक्ष सवाल कर रहा है, तो सरकार को उसका जवाब देना चाहिए। बर्क ने यह भी कहा कि 12 राज्यों में चल रही एसआईआर प्रक्रिया के लिए एक महीने का समय पर्याप्त नहीं है। उनकी मांग है कि सरकार कम से कम तीन महीने का समय दे, ताकि प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पूरी हो सके।
बंगाल में मस्जिद निर्माण को लेकर बर्क ने कहा कि यदि इस देश में मंदिर बन सकता है, तो मस्जिद बनने में क्या समस्या है? सभी धर्मों के लोग इस देश में रहते हैं, इसलिए धार्मिक स्थलों को लेकर किसी प्रकार का विवाद नहीं होना चाहिए। मस्जिद बननी चाहिए।
हुमायूं कबीर द्वारा पुलिस को धमकी देने के मुद्दे पर बर्क ने कहा कि वे धमकी के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनके मजहब में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सब कुछ सहयोग और शांति के साथ होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी प्रकार की धमकी लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
मौलाना महमूद मदनी के ‘जिहाद’ संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बर्क ने कहा कि देश में मुसलमानों के मजहब को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिहाद का अर्थ केवल हिंसा या खून-खराबा नहीं है। किसी ज़ुल्म को रोकना, किसी को इंसाफ दिलाना, और मोहब्बत फैलाना भी जिहाद है। लोग जिहाद को किस नजर से देखते हैं, यह उनकी समझ पर निर्भर करता है, लेकिन इसका वास्तविक अर्थ व्यापक और सकारात्मक है।
हलाल प्रमाणपत्र पर चल रही राजनीतिक बहस पर बर्क ने कहा कि पहले देश में ऐसी स्थितियां नहीं थीं, लेकिन अब इसे राजनीति का हिस्सा बना दिया गया है। हलाल को एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। एक तरफ आम लोगों के लिए हलाल प्रमाणपत्रों पर रोक लगाई जा रही है, वहीं दूसरी तरफ इसके निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं है।