क्या स्थिर और पूर्वानुमेय कर नीति विकास के लिए आवश्यक है? नीति आयोग के सीईओ

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क्या स्थिर और पूर्वानुमेय कर नीति विकास के लिए आवश्यक है? नीति आयोग के सीईओ

सारांश

क्या स्थिर और पूर्वानुमेय कर नीति भारत के आर्थिक विकास के लिए जरूरी है? नीति आयोग के सीईओ ने इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए हैं। जानिए कैसे कर प्रणाली में सुधार से निवेश और रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

Key Takeaways

  • स्थिरता और पूर्वानुमेयता निवेशकों के लिए आवश्यक हैं।
  • कर कानूनों की सादगी से अनुपालन बढ़ेगा।
  • अस्पष्ट कानूनों से विवाद और भ्रम पैदा होते हैं।
  • भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है।
  • जीएसटी 2.0 जैसे सुधार महत्वपूर्ण हैं।

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नीति आयोग के सीईओ बीवी आर सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को कर नीति पर पहला वर्किंग पेपर जारी किया। उन्होंने बताया कि एक स्थिर, निश्चित और पूर्वानुमेय कर प्रणाली निवेश बढ़ाने, रोजगार सृजित करने और भारत के आर्थिक विकास को तेज करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सुब्रमण्यम ने कहा कि कर कानूनों में अनिश्चितता व्यवसायों और निवेशकों को हतोत्साहित करती है।

उन्होंने कहा, “अनिश्चितता निवेश के लिए अच्छी नहीं है। अनिश्चितता नागरिकों के लिए भी अच्छी नहीं है। लोग कराधान में स्थिरता, पूर्वानुमेयता, समानता और पारदर्शिता चाहते हैं।”

उन्होंने यह भी बताया कि अस्पष्ट या कई अर्थ निकालने योग्य कर कानून भ्रम, विवाद और मुकदमों को जन्म देते हैं। यह न केवल भारत में पहले से मौजूद व्यवसायों को प्रभावित करता है बल्कि नए निवेशकों को भी आने से रोकता है।

सुब्रमण्यम ने कहा, “अगर किसी कानून को अलग-अलग तरीकों से पढ़ा जा सकता है, तो इसका मतलब है कि कर अलग-अलग लागू होते हैं। इससे विवाद पैदा होते हैं और लोग दूर हो जाते हैं। निवेशक निश्चितता चाहते हैं।”

नई कर नीति वर्किंग ग्रुप में सरकार के विभागों, कर प्राधिकरणों और बाहरी विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। यह समूह कर कानूनों को सरल बनाने, अनुपालन आसान बनाने और भारत की कर प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने पर विस्तृत पेपर तैयार करेगा।

सुब्रमण्यम ने हाल के सुधारों जैसे जीएसटी 2.0 को भी उजागर किया, जिसने कर दरों को सरल बनाया। उन्होंने कहा कि सरकार कर प्रक्रियाओं को और सरल करने और अनावश्यक जटिलताओं को कम करने के लिए काम कर रही है। उदाहरण के लिए, कई टीडीएस दरों, जटिल फाइलिंग प्रक्रियाओं और ओवरलैपिंग प्रावधानों की समीक्षा की जा रही है ताकि प्रणाली व्यवसायियों और नागरिकों के लिए अधिक अनुकूल बन सके।

उन्होंने कहा कि भारत, जो 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, को एक आधुनिक और पारदर्शी कर ढांचे की आवश्यकता है।

सुब्रमण्यम ने कहा, “अगर भारत अधिक एफडीआई आकर्षित करना और रोजगार सृजित करना चाहता है, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि निवेशक जान सकें कि क्या अपेक्षित है। एक पूर्वानुमेय कर प्रणाली उन्हें आत्मविश्वास के साथ योजना बनाने में मदद करेगी।”

सीईओ ने यह भी रेखांकित किया कि सुधार केवल कर दरों पर नहीं बल्कि प्रक्रियाओं पर भी केंद्रित होंगे। उन्होंने कहा, “ज्यादातर लोग कानून का पालन करते हैं और कर देने के लिए तैयार हैं। समस्या तब होती है जब नियम अस्पष्ट या प्रक्रियाएं जटिल होती हैं। करों को सरल बनाकर, अनुपालन अपने आप बेहतर होगा।”

सुब्रमण्यम ने इस रिपोर्ट को “एक कदम आगे” बताते हुए कहा कि यदि इसकी सिफारिशें लागू की जाती हैं, तो यह भारतीय व्यवसायों और वैश्विक निवेशकों दोनों के लिए अधिक निश्चितता और विश्वास लाएगी।

उन्होंने कहा, “यह भारत को तेज़ी से विकास बनाए रखने और 2047 के विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आवश्यक है।”

Point of View

स्थिर और पूर्वानुमेय कर नीति न केवल आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि यह हमारे निवेशकों के लिए भी आत्मविश्वास का निर्माण करती है। यह भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
NationPress
03/10/2025

Frequently Asked Questions

नई कर नीति का क्या उद्देश्य है?
नई कर नीति का उद्देश्य कर कानूनों को सरल बनाना और अनुपालन को आसान बनाना है।
कर प्रणाली में सुधार से क्या लाभ होगा?
कर प्रणाली में सुधार से निवेश बढ़ेगा और रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
क्या स्थिर कर नीति से अनिश्चितता कम होगी?
हाँ, स्थिर कर नीति से अनिश्चितता कम होगी और निवेशकों को आत्मविश्वास मिलेगा।
क्या सरकार कर प्रक्रियाओं को सरल बना रही है?
जी हाँ, सरकार कर प्रक्रियाओं को सरल बनाने और जटिलताओं को कम करने पर काम कर रही है।
भारत 2047 तक क्या हासिल करना चाहता है?
भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखता है।