क्या तेजस्वी यादव बिहार चुनाव 2025 में जीत सकते हैं? राजद ने नया कैंपेन सॉन्ग लॉन्च किया

सारांश
Key Takeaways
- राजद का नया कैंपेन सॉन्ग युवा मतदाताओं को लक्षित करता है।
- तेजस्वी यादव को बिहार का बेटा बताया गया है।
- सॉन्ग में कई महत्वपूर्ण वादों का उल्लेख है।
- यह गाना मगही भाषा में है, जो स्थानीय संस्कृति को दर्शाता है।
- बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
पटना, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपना नया कैंपेन सॉन्ग जारी किया है। इस सॉन्ग की टैगलाइन है 'तेजस्वी अबकी अईहें गे, रौशन सबेरा लईहें गे।' इसमें तेजस्वी यादव को बिहार का बेटा बताया गया है और कई वादों को पूरा करने की बात की गई है।
राजद का यह कैंपेन सॉन्ग लगभग पांच मिनट 43 सेकंड लंबा है। इसकी शुरुआत खूबसूरत ग्रामीण दृश्यों से होती है। सॉन्ग में तेजस्वी यादव का उल्लेख करते हुए उन्हें नेता नहीं, बल्कि बिहार का बेटा बताया गया है। यह गाना मगही भाषा में तैयार किया गया है।
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसका वीडियो साझा करते हुए लिखा है, "रौशन सवेरा लईहें गे।"
राजद के इस कैंपेन सॉन्ग में कहा गया है, "तेजस्वी अबकी अईहें गे, रौशन सबेरा लईहें गे। नेता नहीं, ई बेटा छी, कोय एकरा सं बेहतर नहीं।"
इस गाने में बेरोजगारी, नौकरी देने का वादा, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, माई-बहिन योजना और वृद्धा पेंशन को 400 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए प्रति महीना देने का वादा किया गया है। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने, उद्योग पर ध्यान देने और पलायन रोकने का भी वादा किया गया है।
कैंपेन सॉन्ग में कहा गया, "आपन तेजस्वी भैया मुमकिन सब के सब कर पईहें गे।"
गौरतलब है कि बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव लगातार बैठकें कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में छात्र-युवा संसद में भाग लिया था।
उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर कार्यक्रम की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "आज छात्र-युवा संसद में उमड़े युवाओं के लिए ढेर सारा प्यार और आभार। बिहार के युवा 20 वर्षों की इस निकम्मी एनडीए सरकार की मंशा भांप चुके हैं। युवा अब सत्ता के फैसले का इंतजार नहीं करेगा, बल्कि अब सत्ता का फैसला करेगा। बिहारी युवा मिट्टी के नहीं, हौसलों और हिम्मत के बने हैं। हमारी सोच में लहू नहीं क्रांति दौड़ती है। युवा साथियों, उठो, ठानो और चलो और तब तक मत रुको जब तक बिहार फिर से ज्ञान, कर्म, भक्ति, प्रगति और तरक्की की राजधानी न बन जाए।"