क्या भारत और पीएम मोदी जैसे मित्र खोना ट्रंप के राजनीतिक करियर के लिए नुकसानदेह है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और अमेरिका के रिश्तों में तनाव के बावजूद ट्रंप ने मोदी की सराहना की।
- संतोष सिंह ने ट्रंप के बयान को महत्वपूर्ण माना।
- बिहार की राजनीति में महागठबंधन का भविष्य खतरे में है।
पटना, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा पर बिहार के श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह ने शनिवार को अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ट्रंप को समझ में आया है कि भारत और पीएम मोदी जैसा मित्र खोना उनके राजनीतिक करियर के लिए गंभीर नुकसान का कारण बन सकता है।
वास्तव में, अमेरिका द्वारा भारत पर अतिरिक्त टैरिफ शुल्क लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव देखा गया। हालांकि, इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी की सराहना करते हुए उन्हें महानतम प्रधानमंत्री और अपना सबसे करीबी मित्र बताया।
संतोष सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के बयान का उल्लेख करते हुए कहा, "ट्रंप अब यह समझ चुके हैं कि मोदी जैसा प्रधानमंत्री न पहले था और न होगा। ट्रंप को यह एहसास हुआ कि भारत और मोदी जैसा मित्र खोना उनके राजनीतिक करियर के लिए हानिकारक होगा।"
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के हालिया बयान पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा, "बिहारियों से हाथ मिलाने की आवश्यकता नहीं है, दिल मिलाना सीखें। बिहारी दिल से मिलते हैं, उन हाथों से नहीं, जो भ्रष्टाचार और घोटालों में लिप्त हों।" उन्होंने कांग्रेस पर बिहारियों का अपमान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि चाणक्य, बुद्ध, अशोक और वीर कुंवर सिंह की धरती के स्वाभिमानी बिहारी ऐसे लोगों से हाथ नहीं मिलाते, जो अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए बिहार को बदनाम करते हैं।
बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष एवं राजद नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए संतोष सिंह ने कहा, "तेजस्वी के परिवार को बिहार ने 27 साल तक सत्ता दी, लेकिन उन्होंने बिहार को लूटने का काम किया। अब वे सरकार को खटारा बता रहे हैं, लेकिन उनकी नैया डूब चुकी है।"
उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले 50-60 दिनों में महागठबंधन का सफाया हो जाएगा और तेजस्वी को एनडीए की पाठशाला में दोबारा पढ़ाई करनी होगी। उनका कहना है कि बिहार की जनता जंगल राज की पुनरावृत्ति नहीं चाहती।