क्या उद्धव ठाकरे ही हैं शिवसेना में फूट के जिम्मेदार?

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क्या उद्धव ठाकरे ही हैं शिवसेना में फूट के जिम्मेदार?

सारांश

क्या उद्धव ठाकरे वास्तव में शिवसेना में फूट के लिए जिम्मेदार हैं? भाजपा महासचिव विजय चौधरी ने उनके तानाशाही शासन पर सवाल उठाए हैं। जानें इस विवाद की गहराई और उद्धव की राजनीति पर क्या असर पड़ सकता है।

Key Takeaways

  • उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना में बगावत का कारण उनके निर्णय हैं।
  • भाजपा महासचिव विजय चौधरी ने उद्धव के शासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
  • शिवसेना में विभाजन ने राजनीतिक landscape को प्रभावित किया है।

नंदुरबार, २४ जून (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा महासचिव विजय चौधरी ने बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना में हुए विभाजन के संबंध में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने उद्धव ठाकरे के तानाशाही शासन को इस विभाजन का मुख्य कारण बताया है। विजय चौधरी का कहना है कि उद्धव नेतृत्व के योग्य नहीं हैं, और इसी कारण पार्टी में बगावत हुई है।

भाजपा महासचिव ने मंगलवार को दिए गए एक बयान में कहा, "उद्धव ठाकरे के आस-पास के लोग उन्हें गलत दिशा में ले जा रहे हैं। उनके निर्णयों के कारण शिवसेना के अनेक वरिष्ठ नेता नाराज हो गए और उन्होंने पार्टी छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली। जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब वे शायद ही कभी मंत्रालय आते थे और अधिकांश काम ऑनलाइन ही करते थे।"

उन्होंने आगे कहा, "कई मंत्री, सांसद एवं विधायक इस कारण असंतुष्ट थे कि वे कभी उनसे मिल नहीं पाते थे। यहां तक कि उनके अधीन सत्ता में बैठे लोगों ने भी बगावत कर दी और नई पार्टियां बना लीं। इससे स्पष्ट है कि उद्धव नेतृत्व के लिए उपयुक्त नहीं हैं। शिवसेना में फूट के लिए भाजपा का हाथ नहीं है, बल्कि इसका जिम्मा पूरी तरह से उद्धव ठाकरे पर है।"

इससे पहले, उद्धव ठाकरे ने पार्टी के वार्षिक समारोह में बिना किसी का नाम लिए भाजपा पर निशाना साधा था। उन्होंने भाजपा को चेतावनी दी थी कि 'हम उसका नामोनिशान मिटा देंगे।'

उद्धव ठाकरे ने कहा, "यदि आप शिवसेना का ब्रांड समाप्त करने आए हैं, तो हम आपका नामोनिशान मिटा देंगे।"

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जलगांव के दौरे के दौरान मीडिया को बताया कि उद्धव ठाकरे की आलोचना का उत्तर देने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं बोल बचन भैरवी का जवाब नहीं देता। यह केवल बोलचाल है और मैं इसे नहीं मानता।"

गौरतलब है कि शिवसेना में २०२२ में विभाजन हुआ था। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कई विधायकों और सांसदों ने बगावत की थी। इसके बाद शिंदे भाजपा के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी बने थे।

Point of View

यह साफ है कि राजनीति में नेतृत्व की क्षमता और निर्णय लेने की योग्यता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना में बगावत ने यह साबित कर दिया है कि यदि नेतृत्व में कमी हो, तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। यह बात सभी राजनीतिक दलों के लिए एक सबक होनी चाहिए।
NationPress
24/06/2025

Frequently Asked Questions

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना में क्या समस्याएँ थीं?
उद्धव ठाकरे के निर्णयों और तानाशाही रवैये के कारण कई वरिष्ठ नेता नाराज हो गए और पार्टी छोड़ दी।
भाजपा का इस विभाजन में क्या हाथ है?
भाजपा महासचिव विजय चौधरी के अनुसार, शिवसेना में फूट के लिए भाजपा जिम्मेदार नहीं है, बल्कि यह उद्धव ठाकरे का कार्य है।