क्या 'वंदे मातरम' के विरोधी मां और मातृभूमि का अपमान कर रहे हैं? : मनोज पांडे
सारांश
Key Takeaways
- सप्लीमेंट्री बजट का उद्देश्य योजनाओं में धन की कमी को पूरा करना है।
- वंदे मातरम भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
- मनोज पांडे ने वंदे मातरम के विरोध करने वालों की आलोचना की।
- बजट का सीधा लाभ आम जनता को मिलता है।
- सभी भारतीयों का यह दायित्व है कि वे वंदे मातरम का सम्मान करें।
लखनऊ, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा विधायक मनोज पांडे ने उत्तर प्रदेश के सप्लीमेंट्री बजट पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया सप्लीमेंट्री बजट का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पहले से चल रही योजनाओं में यदि कहीं फंड की कमी हो, तो उसे पूरा किया जा सके।
मनोज पांडे ने बताया कि कई बार विभिन्न योजनाओं के लिए धन पहले से आवंटित किया जाता है, लेकिन विकास कार्यों को पूरा करने के लिए कभी-कभी यह राशि पर्याप्त नहीं होती। इस स्थिति में अनुपूरक बजट लाकर यह सुनिश्चित किया जाता है कि योजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सके और जनता को इसका लाभ मिल सके।
उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने यह बजट इसीलिए प्रस्तुत किया है ताकि विकास कार्यों में गति लाई जा सके। यह बजट 25 करोड़ जनता के हित में है। इससे सड़कों, विश्वविद्यालयों और अन्य विकास कार्यों में जिन बाधाओं का सामना किया जा रहा था या जिनमें धन की कमी थी, उन्हें पूरा किया जा सकेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि अनुपूरक बजट केवल कागज पर धन नहीं है, बल्कि इसका सीधा लाभ आम जनता को मिलता है।
मदरसा शिक्षकों और अन्य कर्मियों के वेतन भुगतान से जुड़े विवादास्पद विधेयक को वापस लेने पर मनोज पांडे ने कहा कि समय-समय पर आवश्यकताओं के अनुसार चीजें बदलती रहती हैं। शिक्षा विभाग इस पर लगातार समीक्षा करता है। जब आवश्यकता महसूस होती है, तब सरकार उस पर निर्णय लेती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसमें कोई नई बात नहीं है।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद द्वारा प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के बयान पर मनोज पांडे ने कहा कि हर किसी को सपने देखने का हक है, लेकिन केवल सपने देखने से काम नहीं चलता। यदि कोई अपने सपनों को वास्तविकता में बदलना चाहता है, तो उसे मेहनत और काम भी उसी प्रकार करना होगा। सपने तभी सच होंगे, जब कर्म भी उनके अनुरूप हों।
सपा के बयान “वंदे मातरम को आरएसएस की प्रार्थनाओं में शामिल किया जाए” पर उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया दी। मनोज पांडे ने कहा कि ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए जो भारत में रहकर वंदे मातरम का विरोध करते हैं। वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं है, यह हमारी जीवन शैली, संस्कार और इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। हमारी सुबह और रात, हमारी जीवन की मुख्य रेखाएं इसी में झलकती हैं। जिन लोगों ने वंदे मातरम पर हंसी उड़ाई और विरोध किया, वे अपनी मां और मातृभूमि का अपमान कर रहे हैं। जो अपनी मां का सम्मान नहीं कर सकता, वह किसी और का सम्मान भी नहीं कर सकता।
उन्होंने यह भी कहा कि वंदे मातरम हमारे संस्कार और जीवन का अहम हिस्सा है। इसे मानना और उसका सम्मान करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है। यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि हमारी पहचान और हमारे देश के प्रति हमारी निष्ठा का प्रतीक है।