क्या शीतकालीन सत्र में जरूरी मुद्दों को छोड़कर वंदे मातरम पर चर्चा हो रही है?: महुआ मोइत्रा
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा हो रही है।
- महुआ मोइत्रा ने आवश्यक मुद्दों की अनदेखी पर चिंता जताई।
- भाजपा पर विपक्ष के तीखे हमले।
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद में 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर विशेष चर्चा आयोजित की गई। लोकसभा के बाद, अब मंगलवार को राज्यसभा में भी इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय गीत पर चर्चा की जाएगी। इस संदर्भ में विपक्ष ने सत्ताधारी पार्टी पर लगातार हमला बोला है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा और पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को निशाने पर लिया।
महुआ मोइत्रा ने कहा कि इस समय देश में अनेक महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, लेकिन इन पर चर्चा करने के बजाय वंदे मातरम पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वहीं, पप्पू यादव ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उन्हें इतिहास की सही जानकारी नहीं है।
महुआ मोइत्रा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि देश में कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन्हें उठाने का अवसर नहीं मिल रहा है। फिर भी, उन्होंने वंदे मातरम पर चर्चा का समर्थन किया। उन्होंने उल्लेख किया कि यह असल में दो छंदों का राष्ट्रीय गीत है। आनंदमठ उपन्यास में बंकिम चंद्र चटर्जी ने चार छंद जोड़े, लेकिन भाजपा इसके ऐतिहासिक संदर्भ को तोड़-मरोड़कर इसे धार्मिक नजरिए से देखने की कोशिश कर रही है।
पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि भाजपा को इतिहास की जानकारी नहीं है। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर के पत्र का हवाला दिया, जिसमें टैगोर ने नेहरू को लिखा था कि भारत की गरिमा और संस्कृति पर चर्चा की जाए। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर हमें सोचने की आवश्यकता है।