क्या 'विकसित भारत जी राम जी' से ग्रामीण रोजगार गारंटी को नई मजबूती मिली है?: शिवराज सिंह चौहान
Key Takeaways
- हर ग्रामीण परिवार को 125 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी।
- बेरोजगारी भत्ता पाने का कानूनी अधिकार।
- पारदर्शिता और जवाबदेही को कानूनी रूप से मजबूत किया गया है।
- ग्राम सभाओं की भूमिका को बनाए रखा जाएगा।
- संरचनात्मक कमियों को दूर करने का प्रयास।
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 'विकसित भारत जी राम जी' पर एक महत्वपूर्ण लेख साझा किया है। उन्होंने इस लेख में बताया कि कल्याणकारी सुधारों पर सार्वजनिक बहस न केवल आवश्यक है, बल्कि यह एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए भी फायदेमंद है।
केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को एक ब्लॉग में नए कानून के लाभों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह नया कानून पूर्व अधिकारों को कमजोर नहीं करता, बल्कि ईमानदारी से मौजूदा कमियों को दूर करता है।
शिवराज सिंह चौहान ने उल्लेख किया कि 'विकसित भारत जी राम जी' की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह हर ग्रामीण परिवार को साल में 125 दिनों के मजदूरी वाले रोजगार की कानूनी गारंटी प्रदान करता है। यह योजना मौजूदा ढांचे से आगे बढ़ते हुए मनरेगा के अयोग्यता प्रावधानों को समाप्त करती है और रोजगार न मिलने पर 15 दिनों के भीतर बेरोजगारी भत्ता पाने का कानूनी अधिकार सुनिश्चित करती है।
मंत्री ने आगे कहा कि ग्रामीण रोजगार व्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या इरादों की कमी नहीं थी, बल्कि यह बिल संरचनात्मक कमियों को दूर करने का प्रयास करता है। उन्होंने पहले बिल के प्रावधानों को ध्यान से पढ़ने की सलाह दी।
उन्होंने यह भी कहा कि 'विकसित भारत जी राम जी' अधिकारों को कमजोर नहीं करता, बल्कि उन्हें अधिक विश्वसनीय और लागू करने योग्य बनाता है। पारदर्शिता, सोशल ऑडिट, शिकायत निवारण और जवाबदेही को कानूनी रूप से मजबूत किया गया है ताकि मजदूरों को उनका हक समय पर मिल सके।
केंद्रीय मंत्री ने आलोचकों की मांगों को खारिज करते हुए कहा कि यह बिल सरकार पर स्पष्ट कानूनी दायित्व डालता है। साथ ही, रोजगार को उत्पादक सार्वजनिक संपत्तियों के निर्माण से जोड़कर जल सुरक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे और आजीविका को मजबूत करने पर जोर दिया गया है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह योजना किसी प्रकार के केंद्रीकरण को बढ़ावा नहीं देती। ग्राम सभाओं और पंचायतों की भूमिका को बनाए रखते हुए स्थानीय जरूरतों के अनुसार योजनाएं बनाई जाएंगी।
'विकसित भारत जी राम जी' बिल 2005 रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद कानून बन गया, जिससे प्रमुख ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम में बड़े बदलाव का मार्ग प्रशस्त हुआ।