क्या विपक्ष का उद्देश्य घुसपैठियों के माध्यम से चुनाव जीतना था: राम कदम

सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष पर गंभीर आरोप
- घुसपैठियों का मुद्दा
- केंद्र की भाजपा सरकार की प्रतिबद्धता
- राजनीतिक हित के लिए घुसपैठ का इस्तेमाल
- जनता का काम के आधार पर वोट देना
मुंबई, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घुसपैठियों संबंधी बयान पर महाराष्ट्र से भाजपा नेता राम कदम ने विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने कई राज्यों में जानबूझकर विदेशी घुसपैठियों को प्रवेश करने दिया और उन्हें मतदाता सूची में शामिल कर राशन कार्ड भी बनवा दिए। लेकिन, हमारी सरकार घुसपैठियों को बाहर निकालने का काम तेजी से कर रही है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि विपक्ष का एकमात्र मकसद चुनाव जीतना था, लेकिन देश को खतरे में डालकर वोट हासिल नहीं किए जा सकते। यह देश पहले अपने नागरिकों का है, न कि बाहरी लोगों का। हमारी सरकार अवैध घुसपैठियों को मतदाता सूची से हटाने और उन्हें देश से बाहर करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कदम ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि एक धर्म विशेष के वोट बैंक के लिए कांग्रेस ने घुसपैठ को बढ़ावा दिया। उन्होंने दावा किया कि केंद्र में 2014 से सत्तारूढ़ भाजपा सरकार इस मुद्दे पर सजग रही और घुसपैठ रोकने में काफी हद तक सफल रही है।
अमित शाह के एसआईआर को लेकर दिए बयान का समर्थन करते हुए कदम ने कहा कि विपक्ष के लिए मतदाता सूची और ईवीएम मशीनें केवल बहाने हैं। उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी हार का डर है, इसलिए पहले से ही माहौल बनाया जा रहा है। जब विपक्ष चुनाव जीतता है, तब वह मतदाता सूची को गलत नहीं बताता, लेकिन हारने पर हमेशा यही शिकायत करता है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के फतेहपुर दौरे पर कदम ने कहा कि न तो जनता राहुल गांधी को गंभीरता से लेती है और न ही उनकी पार्टी को। राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस एक को छोड़कर सभी चुनाव हार चुकी है। उनकी अपनी पार्टी के लोग भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। हम सत्तापक्ष के रूप में उन्हें महत्व नहीं देते। वे जहां भी जाते हैं, ओछी राजनीति करते हैं।
महाविकास अघाड़ी पर कटाक्ष करते हुए कदम ने कहा कि गठबंधन में कौन शामिल होता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि जनता काम के आधार पर वोट देती है। उन्होंने राज ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा कि राज ठाकरे के पास न तो सांसद हैं और न ही विधायक। कांग्रेस का मुंबई और महाराष्ट्र में कोई आधार नहीं बचा है। जिन दलों की जमीनी ताकत खत्म हो चुकी है, उनका साथ आने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।