क्या विपक्षी दल विदेशी नेताओं की बातों पर ज्यादा भरोसा करते हैं? : आरपी सिंह

सारांश
Key Takeaways
- आरपी सिंह ने विपक्ष की नीतियों की आलोचना की।
- पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर पर स्पष्टता दी।
- विपक्षी दलों का विदेशी नेताओं पर भरोसा सवाल में है।
- नीतीश सरकार का निर्णय आशा कार्यकर्ताओं के लिए सकारात्मक है।
- पीओके भारत का अभिन्न अंग है।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा करते हुए स्पष्ट किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी भी राष्ट्राध्यक्ष से मध्यस्थता के बारे में कोई बातचीत नहीं हुई थी। इस पर भाजपा नेता आरपी सिंह ने विपक्षी दलों पर कड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को विदेशी नेताओं की बातों पर बहुत अधिक भरोसा रहता है।
आरपी सिंह ने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा कि विदेश मंत्रालय ने पहले ही स्पष्ट रूप से जानकारी दी थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति और हमारे प्रधानमंत्री के बीच क्या बातचीत हुई। बावजूद इसके, विपक्ष इसे स्वीकार करने से इनकार कर रहा है और केवल विदेशी नेताओं की बातों पर विश्वास करता है। चाहे पी. चिदंबरम हों, प्रणीति शिंदे या अन्य कांग्रेस नेता, ये ऐसे बयान देते हैं जो पाकिस्तान को लाभ पहुंचाते हैं।
आरपी सिंह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया और उन्हें प्रतिनिधिमंडल के रूप में भेजा ताकि दुनिया एक अखंड भारत को देख सके। यह संदेश देने के लिए प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों में भेजे गए। हालांकि, कुछ राजनीतिक दल इसे मानने से इनकार कर रहे हैं। उनका संसद में व्यवहार और सवाल उठाना उस एकता के संदेश को कमजोर करने का प्रयास है।
बिहार में आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय में बढ़ोतरी पर आरपी सिंह ने कहा कि नीतीश सरकार का यह निर्णय स्वागत योग्य है।
उन्होंने कहा कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है। हर चीज का एक समय और एक रणनीति होती है। जब सही समय आएगा और रणनीति बनाई जाएगी, तब पीओके भारत का हिस्सा बनेगा।