क्या 'वोटर अधिकार यात्रा' लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करेगी? : मनोज झा

सारांश
Key Takeaways
- लोकतंत्र की शक्ति जनता का मत है।
- संविधान की रक्षा करना आवश्यक है।
- चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाना जरूरी है।
- जनता के अधिकारों की सुरक्षा का प्रयास जारी है।
- यह यात्रा केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक महत्व रखती है।
नई दिल्ली, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के कई नेता 'वोटर अधिकार यात्रा' की शुरुआत कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने इसे लोकतंत्र के मूल्यों को सुरक्षित रखने की यात्रा बताया।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक गतिविधि नहीं है। बल्कि, यह संविधान की रक्षा और लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखने की यात्रा है। लोकतंत्र की असली ताकत जनता का वोट है, और यदि नागरिकों के अधिकारों को छीना जाए या उनकी स्वतंत्रता समाप्त कर दी जाए, तो संपूर्ण लोकतांत्रिक ढांचे का अस्तित्व खतरे में आ जाता है।
मनोज झा ने कहा कि इस यात्रा की प्रेरणा बिहार की धरती से उठी उस आवाज से आई है, जो जनता के अधिकारों की सुरक्षा की मांग कर रही थी। यह यात्रा मूलतः संविधान के मूल सिद्धांतों को उन लोगों तक पहुँचाने का प्रयास है, जो इसके कमजोर करने में शामिल हैं।
इस दौरान उन्होंने चुनाव आयोग पर भी गंभीर सवाल उठाए। वोट चोरी के आरोपों के बीच चुनाव आयोग की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए राजद सांसद ने कहा कि आयोग को यह कदम बहुत पहले उठाना चाहिए था। उन्होंने सवाल किया कि चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश और राहुल गांधी तथा तेजस्वी यादव की यात्रा की शुरुआत का इंतजार क्यों किया।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की कार्यशैली को लेकर देशभर में अविश्वास बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग किसी विशेष दल के इशारे पर काम करता हुआ प्रतीत होता है। आज भी हमारी उम्मीद है कि चुनाव आयोग देश के लोगों के लिए निष्पक्षता से काम करे, न कि विपक्ष और पत्रकारों की आपत्तियों पर ध्यान देकर उन्हें गुमराह करे।