क्या लाहौल में समय से पहले बर्फबारी ने बागवानों की कमर तोड़ी, सेब की फसल बर्बाद?

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क्या लाहौल में समय से पहले बर्फबारी ने बागवानों की कमर तोड़ी, सेब की फसल बर्बाद?

सारांश

लाहौल घाटी में हाल ही में हुई बर्फबारी ने बागवानों की मेहनत को बर्बाद कर दिया है। इस प्राकृतिक आपदा ने उनकी सेब की फसल को तबाह कर दिया है। जानिए बागवानों की इस मुश्किल घड़ी में क्या राहत मिल सकती है।

Key Takeaways

  • लाहौल घाटी में बर्फबारी ने बागवानों को गंभीर नुकसान पहुँचाया है।
  • सैकड़ों सेब के पेड़ और फसलें बर्बाद हुई हैं।
  • बागवानों ने सरकार से राहत की मांग की है।
  • प्रशासन जल्द राहत कार्य शुरू करेगा।
  • इस प्राकृतिक आपदा ने परिवारों की आजीविका पर गहरा प्रभाव डाला है।

लाहौल घाटी, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पिछले तीन दिनों की भारी बर्फबारी और बारिश ने लाहौल घाटी के बागवानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है।

हालांकि, अब मौसम साफ हो चुका है। लेकिन, इस प्राकृतिक आपदा ने सैकड़ों सेब के पेड़ों और फसलों को तबाह कर दिया है। कई पेड़ टूट गए हैं, टहनियां जमीन पर बिखरी पड़ी हैं और पके सेब भी गिरकर खराब हो गए हैं। बागवानों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई है, क्योंकि उनकी साल भर की मेहनत बेकार हो गई है।

जब सेब की फसल बाजार में भेजने की तैयारी चल रही थी, तभी अचानक आई इस बर्फबारी ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। स्थानीय बागवान चेतन ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से कहा, "हम सेब को बाजार भेजने की योजना बना रहे थे। व्यापारियों से बात भी हो गई थी। लेकिन, अब बगीचों की हालत देखकर मन टूट गया है। सरकार से राहत की उम्मीद है।"

कई बागवानों का कहना है कि यह स्थिति साल 2018 की भयंकर बर्फबारी की याद दिलाती है, जब भी घाटी को बड़ा नुकसान हुआ था।

प्रभावित इलाकों में सेब के बगीचे पूरी तरह से तबाह हो गए हैं। जिला बागवानी विभाग के अधिकारी नुकसान का आकलन करने के लिए बगीचों का दौरा कर रहे हैं। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक, लाखों रुपये की सेब फसल और सैकड़ों पेड़ बर्फ के बोझ तले दब गए हैं। बागवानी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वे जल्द ही पूरी रिपोर्ट तैयार करेंगे ताकि प्रभावित किसानों को मदद मिल सके।

जिला प्रशासन भी सक्रिय हो गया है और नुकसान का सर्वे शुरू कर दिया है। बागवानों की मांग है कि सरकार उन्हें आर्थिक सहायता और मुआवजा दे, ताकि वे अपनी खोई हुई उम्मीदों को फिर से जगा सकें। लाहौल घाटी के गांवों में इस प्राकृतिक आपदा ने परिवारों की आजीविका पर गहरा असर डाला है। बागवानी यहां की मुख्य आय का साधन है और इस नुकसान से लोग चिंतित हैं।

प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि नुकसान का सही आकलन करने के बाद राहत कार्य शुरू किए जाएंगे। बागवानों की उम्मीद अब सरकार पर टिकी है कि वे इस मुश्किल घड़ी में उनका साथ दें।

Point of View

यह स्पष्ट है कि प्राकृतिक आपदाएं हमारे किसानों पर गहरा प्रभाव डालती हैं। बागवानी जैसे मुख्य आय के साधनों को नुकसान पहुँचाना न केवल किसानों के लिए, बल्कि समाज के लिए भी चिंताजनक है। सरकार को इस संकट में तत्परता से सहायता प्रदान करनी चाहिए।
NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

लाहौल घाटी में बर्फबारी से कितना नुकसान हुआ?
प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक, लाखों रुपये की सेब फसल और सैकड़ों पेड़ बर्फ के बोझ तले दब गए हैं।
बागवानों ने सरकार से क्या मांगा?
बागवानों ने आर्थिक सहायता और मुआवजे की मांग की है ताकि वे अपनी खोई हुई उम्मीदों को फिर से जगा सकें।
क्या प्रशासन ने राहत कार्य शुरू किया है?
जी हां, प्रशासन ने नुकसान का सर्वे करना शुरू कर दिया है और राहत कार्य जल्द ही शुरू होंगे।
इस बार बर्फबारी का असर पिछले सालों से कैसे भिन्न है?
कई बागवानों का कहना है कि यह स्थिति साल 2018 की भयंकर बर्फबारी की याद दिलाती है।
बागवानी का महत्व क्या है?
बागवानी लाहौल घाटी के गांवों में परिवारों की आजीविका का मुख्य साधन है।
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