क्या हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी ने सीजन की पहली बर्फबारी से सफेद चादर ओढ़ ली है?

सारांश
Key Takeaways
- लाहौल घाटी में पहली बर्फबारी से मौसम में बदलाव आया है।
- बर्फबारी ने तापमान को शून्य से नीचे गिरा दिया है।
- स्थानीय निवासियों और किसानों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- बर्फबारी से फसलों की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ा है।
- मौसम विभाग ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
लाहौल-स्पीति, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी में मौसम ने एक बार फिर से अपना रंग बदल लिया है। सीजन की पहली बर्फबारी ने पूरे क्षेत्र को बर्फ की सफेद चादर में लिपट दिया है। अचानक आई इस बर्फबारी के कारण तापमान में भारी गिरावट आई है, जिससे लोग अपने घरों के भीतर छिपने को मजबूर हो गए हैं।
रविवार रात से शुरू हुई बर्फबारी ने रोहतांग दर्रा, बारालाचा, कुंजुम, तांदी, केलांग, उदयपुर और आसपास के ऊंचाई वाले क्षेत्रों को पूरी तरह से बर्फ से ढक दिया है। सुबह होते-होते सड़कों पर बर्फ की मोटी परत जम गई, जिससे सामान्य जनजीवन पर बुरा असर पड़ा है। बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है और ठंडी हवाओं से बचने के लिए लोग घरों के अंदर छिपने को मजबूर हैं।
मौसम विभाग ने पहले ही ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की चेतावनी जारी की थी, लेकिन इसकी तीव्रता ने सभी को चौंका दिया। तापमान शून्य से नीचे चला गया है और बर्फबारी के साथ ठंडी हवाओं ने लोगों के लिए समस्याएं बढ़ा दी हैं।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, इतनी जल्दी और भारी बर्फबारी पिछले कई वर्षों में नहीं देखी गई। यह अचानक मौसम परिवर्तन सर्दियों की शुरुआत का संकेत दे रहा है, लेकिन साथ ही यह किसानों और बागवानों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
लाहौल घाटी में आलू और सेब की फसलें इस समय मंडियों के लिए तैयार हैं। बेमौसम बर्फबारी ने इन फसलों के परिवहन और गुणवत्ता पर गंभीर असर डाला है। किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है, क्योंकि बर्फ से फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका बढ़ गई है। सड़कों पर बर्फ जमा होने से परिवहन व्यवस्था भी प्रभावित हुई है, जिससे माल ढुलाई में बड़ी दिक्कतें आ रही हैं।
इस बर्फबारी ने घाटी की खूबसूरती को बढ़ा दिया है, लेकिन इसके साथ ही यहां के लोगों के सामने नई चुनौतियां भी खड़ी कर दी हैं। ऐसे में मौसम विभाग ने लोगों से सतर्क रहने को कहा है।