क्या लालू की दलील से 'लैंड फॉर जॉब' केस में सीबीआई की एफआईआर को चुनौती मिलेगी?

सारांश
Key Takeaways
- लालू यादव ने सीबीआई की एफआईआर को रद्द करने की मांग की है।
- अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।
- सीबीआई को एफआईआर के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं मिली।
- सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही मामले में हस्तक्षेप से इंकार किया।
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का पालन अनिवार्य था।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। 'लैंड फॉर जॉब' मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता लालू प्रसाद यादव के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। लालू यादव के वकील ने अदालत में अपनी दलील प्रस्तुत की। अब इस मामले में अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।
लालू यादव ने जमीन के बदले नौकरी से जुड़े केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) केस को रद्द करने की मांग की है। उनके वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि सीबीआई इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) एक्ट के तहत आवश्यक मंजूरी लेने में असफल रही है।
उन्होंने बताया कि उस समय लालू यादव रेल मंत्री थे, इसलिए पीसी एक्ट की धारा 17ए के तहत मंजूरी अनिवार्य थी। सीबीआई एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती थी और बिना एफआईआर के जांच शुरू नहीं हो सकती थी। दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने लालू यादव की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था, जिसमें उन्होंने जमीन के बदले नौकरी घोटाले में दर्ज सीबीआई की एफआईआर को खारिज करने की मांग की थी।
लालू यादव ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने से मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार करते हुए कहा था कि हाईकोर्ट पहले ही तारीख दे चुका है और इसमें हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं है।
लालू यादव की याचिका में कहा गया था कि सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में कोई ठोस आधार नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि जब तक उनकी याचिका पर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक निचली अदालत में आरोप तय करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जानी चाहिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि हाईकोर्ट पहले ही तारीख दे चुका है और इसमें दखल देने का कोई कारण नहीं है।