क्या लालू-रेड्डी की मुलाकात भ्रष्टाचार के जनक से है?

सारांश
Key Takeaways
- लालू प्रसाद यादव और सुदर्शन रेड्डी की मुलाकात ने चर्चा को जन्म दिया है।
- ललन सिंह ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गंभीर टिप्पणी की है।
- उपराष्ट्रपति चुनाव का समय निकट है।
- जदयू सांसदों ने मतदान प्रक्रिया का अभ्यास किया।
- एनडीए का समर्थन मजबूत बना हुआ है।
नई दिल्ली, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने इंडिया ब्लॉक गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख तथा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की मुलाकात पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे उन लोगों से मिल रहे हैं जो इस देश में भ्रष्टाचार के जनक हैं।
मीडिया के साथ बातचीत में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि यह एक अच्छी बात है कि वे मिलने जा रहे हैं। जो लोग इस देश में भ्रष्टाचार के जनक हैं, वे उनसे मिलते हैं। यह सकारात्मक है।
गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 9 सितंबर को मतदान होना है, जिसमें एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला है।
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर सोमवार को दिल्ली में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) सांसदों की एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में चुनाव संबंधी मुद्दों पर चर्चा हुई।
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को चुनाव होगा। आज, लोकसभा और राज्यसभा के सभी जदयू सांसद कौशलेंद्र कुमार के आवास पर एकत्रित हुए थे। उन्होंने सभी सांसदों के लिए दोपहर का भोजन भी आयोजित किया। उन्होंने बताया कि एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन भी उपस्थित थे और उन्होंने सभी से बातचीत की। चूंकि मतदान कल होना है, इसलिए सांसदों ने मतदान प्रक्रिया का अभ्यास भी किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक वोट सही तरीके से डाला जाए।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया कि जदयू पार्टी पूरी एकजुटता और मुस्तैदी के साथ एनडीए के उम्मीदवार, पीएम मोदी द्वारा घोषित उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के साथ खड़ी है।
उन्होंने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि जो भी सांसद चुने गए हैं, उनके पास भी विवेक है और उन्हें पता है कि वोट कहां और किसे देना है।
एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का एक लंबा सामाजिक जीवन है। वे जमीनी स्तर की वास्तविकताओं से परिचित हैं। इसलिए, उन्हें ही देश का उपराष्ट्रपति होना चाहिए जो देश की मूल समस्याओं से अवगत हो।