क्या मदर टेरेसा की सेवा ज्योति आज भी प्रज्वलित है? 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' दुनियाभर में कर रही मानवीय सेवा

सारांश
Key Takeaways
- मदर टेरेसा की 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' ने वैश्विक स्तर पर मानवता की सेवा की है।
- संस्था के पास 4500 से अधिक मिशनरी हैं।
- यह संस्था गरीबों और असहाय लोगों के लिए राहत प्रदान करती है।
- मिशनरीज ऑफ चैरिटी का अंतरराष्ट्रीय विस्तार 1965 में हुआ।
- इसमें शामिल होने के लिए 9 वर्षों की कठिनाई से गुजरना होता है।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जब दुनिया अनेक संकटों का सामना कर रही है, कहीं युद्ध की भयानकता फैली हुई है तो कहीं आर्थिक मंदी ने लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। विभिन्न देशों में गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे लोग, गरीब, असहाय, बीमार और बेघर लोग सबसे अधिक उपेक्षित हो जाते हैं। ऐसे समय में भी कुछ संस्थाएं हैं जो निस्वार्थ सेवा को अपना धर्म मानती हैं।
'मिशनरीज ऑफ चैरिटी', जिसे मदर टेरेसा ने स्थापित किया, ऐसी ही एक संस्था है जो भुखमरों को भोजन और बेघरों को सहारा देती है। यह संगठन राहत नहीं बल्कि उन लोगों को जीने की नई आशा भी प्रदान करता है, जो जीवन की दौड़ में पीछे रह गए हैं।
मदर टेरेसा की गरीबों और वंचितों की सेवा के लिए सभी जानते हैं। 7 अक्टूबर 1950 को वेटिकन से 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' की स्थापना की अनुमति मिली और इसकी शुरुआत कलकत्ता से हुई थी।
मदर टेरेसा केंद्र की वेबसाइट के अनुसार, 1946 में उन्हें आत्मिक प्रेरणा मिली कि वे सबसे गरीब और असहाय लोगों की सेवा करें। यह प्रेरणा ही आगे चलकर 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' की नींव बनी। मार्च 1949 में उन्हें पहली साथी मिलीं और फिर 7 अक्टूबर 1950 को कोलकाता में इस नई धर्मसंघ की औपचारिक स्थापना हुई।
उस समय यह 'छोटा सा समाज' केवल 12 सदस्यों का था, लेकिन इस सेवा के बीज ने दुनिया भर में करुणा और मानवता का एक विशाल वृक्ष खड़ा कर दिया। 1960 के दशक में मदर टेरेसा ने अपनी सेवाओं का विस्तार किया और 1965 में 'डिक्री ऑफ प्रेज' के बाद अंतरराष्ट्रीय विस्तार का रास्ता खोला।
जल्द ही वेनेजुएला, रोम, तंजानिया और फिर लगभग हर महाद्वीप पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएं खुलने लगीं।
1980 और 1990 के दशक में यह सेवा सोवियत संघ, अल्बानिया और क्यूबा जैसे साम्यवादी देशों में भी पहुंची, जहां पहले धर्म और सेवा पर पाबंदियां थीं।
आज भी मदर टेरेसा की सेवा की यह ज्योति बुझी नहीं है, बल्कि और भी प्रज्वलित हो रही है, उन लाखों चेहरों की मुस्कान में, जिन्हें कभी किसी ने देखा तक नहीं था।
यह रोमन कैथोलिक स्वयंसेवी धार्मिक संगठन आज दुनिया के 100 से अधिक देशों में विभिन्न मानवीय कार्यों में सक्रिय है। इसकी 4500 से अधिक ईसाई मिशनरियों की मंडली है। इस संगठन में शामिल होना एक गहन और अनुशासित प्रक्रिया है। कोई भी व्यक्ति तभी पूर्ण सदस्य बन सकता है, जब वह 9 वर्षों तक सेवा, प्रशिक्षण और परीक्षण की कठिन यात्रा पूरी करे।