क्या मदरसों में वंदे मातरम गाने से जुड़ी आदेश पर शादाब शम्स का कहना है कि इसमें कोई दिक्कत नहीं?
सारांश
Key Takeaways
- शादाब शम्स ने कहा कि वंदे मातरम में कोई दिक्कत नहीं है।
- मदरसों में समान शिक्षा देने का प्रस्ताव।
- वतन की प्रशंसा करना गलत नहीं है।
- कुरान और सामान्य पाठ्यक्रम का संतुलित अध्ययन।
- उलेमाओं का योगदान महत्वपूर्ण है।
देहरादून, 21 नवंबर, (राष्ट्र प्रेस)। देश के विद्यालयों और मदरसों में वंदे मातरम गाने से संबंधित आदेश पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा है कि इसमें कोई समस्या नहीं है। हमने मदरसा बोर्ड का समापन कर दिया है। अब मदरसों में भी समान शिक्षा मिलेगी। आधा समय उत्तराखंड के सामान्य पाठ्यक्रम की पढ़ाई होगी और आधा समय कुरान का अध्ययन होगा।
उन्होंने कहा कि मादरे वतन (हिंदुस्तान जिंदाबाद) का नारा मुसलमानों द्वारा लगाया जाता है। वे भी अपने वतन को मां मानते हैं। मां की प्रशंसा करना गलत नहीं है। एआर रहमान ने भी एक गीत गाया है जिसमें उन्होंने भारत माता की सराहना की है। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उर्दू में वंदे मातरम लिखा है, इसमें कोई समस्या नहीं है।
शादाब शम्स ने कहा कि हम भारतीय मुसलमान हैं, अरबी मुसलमान नहीं। जब हम अपने वतन को मां कहते हैं। मादरे वतन का यह नारा हमने नहीं दिया है, यह नारा उलेमाओं का दिया हुआ है। जब देश की आजादी की लड़ाई चल रही थी, तब हमने मुल्क को अपनी मां माना। जब आपने मुल्क को मां माना है और उसकी प्रशंसा कर रहे हैं, तो इसमें किसी को कोई समस्या नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि जुबान में समस्या आ सकती है। संस्कृत पढ़ने में भी कठिनाई हो सकती है। शायद आप उसके भाव को नहीं समझ पाते हों, लेकिन भाव यही है कि वतन, जिसे हम मां मानते हैं, उसकी प्रशंसा अलग-अलग शब्दों में की जा रही है। इसका भाव किसी भी लहजे में रखा जाए, तो वह बेहतर ही होगा, खराब नहीं हो सकता।
इससे पहले, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने 'वंदे मातरम' विवाद पर आरएसएस से सवाल किया था कि क्या उन्होंने संविधान का सम्मान किया? जब आरएसएस की स्थापना हुई थी, तब क्या 'वंदे मातरम' गाया जाता था? जब देश को आजादी मिली, तब आरएसएस ने 'वंदे मातरम' या राष्ट्रीय गान गाया?
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम राष्ट्रगीत है। हमें इसमें कुछ शब्दों पर आपत्ति है। ये शब्दों का फेर है। उन्होंने कहा, "हम केवल अल्लाह को सजदा करेंगे। अल्लाह के अलावा कहीं और सजदा नहीं किया जा सकता।"