क्या 'मेड इन इंडिया चिप्स' पर आधारित टेलीकॉम सिस्टम को मिला टीईसी सर्टिफिकेशन?

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क्या 'मेड इन इंडिया चिप्स' पर आधारित टेलीकॉम सिस्टम को मिला टीईसी सर्टिफिकेशन?

सारांश

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि भारत में निर्मित चिप्स का उपयोग करने वाले टेलीकॉम सिस्टम को टीईसी सर्टिफिकेशन मिला है। यह उपलब्धि सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी।

Key Takeaways

  • मेड इन इंडिया चिप्स पर आधारित टेलीकॉम सिस्टम को टीईसी सर्टिफिकेशन मिला है।
  • यह सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है।
  • भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
  • निर्यात के अवसर बढ़ेंगे।
  • भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचेगा।

नई दिल्ली, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह महत्वपूर्ण घोषणा की है कि केवल घरेलू स्तर पर निर्मित चिप्स का उपयोग करने वाले टेलीकॉम सिस्टम को टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) द्वारा सर्टिफिकेशन मिला है, जो मानकों और गुणवत्ता परीक्षणों को पार करता है।

केंद्रीय मंत्री ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए इसे देश के सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर! पहली बार, 'मेड इन इंडिया' चिप्स पर आधारित एक टेलीकॉम सिस्टम ने टीईसी सर्टिफिकेशन को सफलतापूर्वक पास किया है।"

टीईसी सर्टिफिकेशन एक गुणवत्ता मानक है जो यह सुनिश्चित करता है कि दूरसंचार उपकरण सुरक्षा और प्रदर्शन मानकों को पूरा करते हैं। इस मंजूरी के साथ, भारत के स्थानीय चिप्स अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं, जिससे निर्यात के अवसर भी बढ़ गए हैं।

यह उपलब्धि आयातित सेमीकंडक्टरों पर निर्भरता को कम करने में सहायक साबित हो रही है, जो हाल के वैश्विक संकट के दौरान उजागर हुई थी।

विश्लेषकों का मानना है कि डिजाइन, असेंबली, टेस्टिंग और इंटीग्रेशन में भारत की बढ़ती क्षमता सप्लाई चेन की समस्याओं को हल करने में मदद करेगी।

ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका चिप उत्पादन में अग्रणी हैं, और भारत इस पर निर्भरता को कम करने की दिशा में काम कर रहा है।

सेमीकंडक्टर लिथोग्राफी के क्षेत्र में अग्रणी एएसएमएल होल्डिंग एनवी ने हाल ही में भारतीय व्यवसायों के साथ साझेदारी को मजबूत करने की योजना की घोषणा की है।

सेमीकंडक्टर क्षेत्र में घरेलू विनिर्माण और डिजाइन को बढ़ावा देने के लिए 76,000 करोड़ रुपये की उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) की शुरुआत की गई थी।

इस योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत 1.60 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की 91,000 करोड़ रुपये की फैब, साणंद में माइक्रोन की 22,516 करोड़ रुपये की पैकेजिंग सुविधा और अगस्त में शुरू हुई सीजी पावर की नई ओएसएटी पायलट लाइन शामिल है।

भारत 28एनएम-65एनएम रेंज में मैच्योर नोड्स पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो टेलीकॉम, ऑटोमोटिव और औद्योगिक एप्लीकेशन के लिए आवश्यक हैं।

भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2023 में 38 अरब डॉलर का था और 2024-25 में 45 से 50 अरब डॉलर और 2030 तक 100 से 110 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर, सेमीकंडक्टर बाजार उसी वर्ष तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।

Point of View

बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी एक मजबूत स्थान स्थापित करेगा। यह न केवल एक सर्टिफिकेशन है, बल्कि एक नई सोच और दिशा की ओर संकेत करता है।
NationPress
06/09/2025

Frequently Asked Questions

टीईसी सर्टिफिकेशन क्या है?
टीईसी सर्टिफिकेशन दूरसंचार उपकरणों के लिए गुणवत्ता मानक है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उपकरण सुरक्षा और प्रदर्शन मानकों को पूरा करते हैं।
भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग की स्थिति क्या है?
भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2023 में 38 अरब डॉलर का था और भविष्य में इसके 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
मेड इन इंडिया चिप्स का क्या महत्व है?
मेड इन इंडिया चिप्स से देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और आयात पर निर्भरता कम होगी।
भारत में सेमीकंडक्टर मिशन कब शुरू हुआ था?
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) 2021 में शुरू किया गया था।
भारत के टेलीकॉम सिस्टम को टीईसी सर्टिफिकेशन कब मिला?
भारत के टेलीकॉम सिस्टम को टीईसी सर्टिफिकेशन हाल ही में मिला है, जो घरेलू चिप्स पर आधारित है।