क्या मध्य प्रदेश के मुतवल्ली ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, 'उम्मीद' पोर्टल को दोषपूर्ण बताकर राहत की मांग?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
- 'उम्मीद पोर्टल' तकनीकी खामियों से ग्रस्त है।
- वक्फ संपत्तियों का सही पंजीकरण आवश्यक है।
- याचिकाकर्ता ने राहत की मांग की है।
- कोर्ट का रुख अभी स्पष्ट नहीं है।
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के एक मुतवल्ली ने यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एम्पावरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1995 की धारा 3बी के अंतर्गत वक्फ रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से अपलोड करने की अनिवार्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार का 'उम्मीद पोर्टल' तकनीकी रूप से बेहद कमजोर है और यह वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से पंजीकरण करने में असमर्थ है।
अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल इस याचिका में उल्लेख किया गया है कि 2025 में अधिसूचित नियमों के अनुसार बनाए गए इस पोर्टल में कई तकनीकी खामियां विद्यमान हैं, जिसके कारण आवश्यक दस्तावेज और सूचनाओं को अपलोड करना लगभग असंभव हो गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि पोर्टल की संरचना कई राज्यों, विशेषकर मध्य प्रदेश के वक्फ कानून और प्रशासनिक ढांचे के अनुरूप नहीं है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि पोर्टल की लगातार खराबी के कारण वक्फ को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जबकि अपलोडिंग की अनिवार्यता उन पर अनावश्यक दबाव बना रही है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से निवेदन किया है कि वर्तमान स्वरूप में उम्मीद पोर्टल को दोषपूर्ण घोषित किया जाए और इसे तब तक लागू न किया जाए जब तक केंद्र सरकार इसकी सभी खामियों को दूर नहीं कर देती।
याचिका में यह मांग की गई है कि केंद्र सरकार को तकनीकी समस्याओं को सुधारने या मध्य प्रदेश के सर्वे और गैजेटेड वक्फ के लिए एक अलग अपलोड प्रणाली विकसित करने का आदेश दिया जाए। जब तक पोर्टल सही तरीके से कार्य नहीं करने लगे, तब तक गैर-अपलोडिंग के कारण किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।
मध्य प्रदेश में वक्फ रिकॉर्ड अपलोडिंग के लिए मैनुअल या वैध वैकल्पिक तरीकों की अनुमति दी जाए और धारा 61 के तहत दंड प्रावधानों पर रोक लगाई जाए। याचिका लंबित रहने तक संबंधित वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड की वर्तमान स्थिति बरकरार रखी जाए।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ विवरण अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग को अस्वीकार कर दिया था। अदालत ने स्पष्ट कहा था कि जिन वक्फों को समय चाहिए, वे अपने क्षेत्राधिकार वाले वक्फ ट्रिब्युनल से व्यक्तिगत रूप से राहत मांग सकते हैं।
अब 'उम्मीद' पोर्टल की तकनीकी खामियों का मुद्दा पूरे मामले को फिर से चर्चा में ला दिया है। कोर्ट इस पर क्या रुख अपनाएगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।