क्या मध्य प्रदेश के 10 माओवादियों ने सीएम मोहन यादव के सामने आत्मसमर्पण किया?

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क्या मध्य प्रदेश के 10 माओवादियों ने सीएम मोहन यादव के सामने आत्मसमर्पण किया?

सारांश

मध्य प्रदेश में माओवादियों का आत्मसमर्पण एक महत्वपूर्ण घटना है। जानें मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस पर क्या कहा और यह नक्सलियों की कमजोर होती स्थिति को कैसे दर्शाता है।

Key Takeaways

  • 10 माओवादियों का आत्मसमर्पण
  • मुख्यमंत्री ने रिहैबिलिटेशन पॉलिसी की जानकारी दी
  • नक्सलियों की कमजोर होती स्थिति का संकेत
  • आधुनिक हथियारों का सरेंडर
  • सरकार की नई योजनाएँ और केंद्रित प्रयास

बालाघाट, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के 10 कट्टर माओवादियों ने रविवार को बालाघाट में मुख्यमंत्री मोहन यादव के सामने आत्मसमर्पण किया।

बालाघाट की सीमा छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित क्षेत्रों से जुड़ी हुई है।

राज्य की 'रिहैबिलिटेशन थ्रू रीबर्थ' योजना के तहत यह सरेंडर एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि ये कैडर लंबे समय से केबी और एमएमसी (महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सेंट्रल) जोन में हिंसक घटनाओं से जुड़े हुए थे।

उनकी पूर्व गतिविधियों में आईईडी ब्लास्ट, पुलिस पर फायरिंग, गांववालों में डर फैलाना, जंगल के रास्तों पर नियंत्रण और ऑपरेशनल टीमों पर हमले शामिल थे। ये ऐसी गतिविधियां थीं जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए लगातार चुनौती बनी रहीं।

एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री यादव ने सरेंडर करने वाले प्रत्येक माओवादी को भारतीय संविधान की एक प्रति दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के विजन के अनुसार प्रदेश को नक्सल प्रभाव से मुक्त करने के लिए काम कर रही है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी व्यक्ति देश के खिलाफ हथियार उठाने का अधिकार नहीं रखता। माओवादियों से सरकार की रिहैबिलिटेशन पॉलिसी को अपनाने की अपील करते हुए सीएम यादव ने आश्वासन दिया कि उनकी जान बचाने, उनकी प्रगति में सहायता करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लाने के लिए हर संभव कदम उठाया जाएगा।

ग्राउंड ऑपरेशन और सरकार की रिहैबिलिटेशन पॉलिसी के दबाव में, माओवादियों ने मुख्यमंत्री के सामने एके-47, इंसास राइफल, एसएलआर और बीजीएल जैसे अपने हथियार डाल दिए।

यह घटना केबी क्षेत्र में नक्सलियों की कमजोर होती पकड़ का एक बड़ा संकेत मानी जा रही है।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और जवानों की हिम्मत बढ़ाते हुए कहा कि नक्सल विरोधी अभियान को लगातार मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने स्पेशल सपोर्ट स्क्वॉड के लिए 15 नए अस्थायी कैंप और 882 पोस्ट मंजूरी देने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि लगातार निगरानी, गहरी जांच और ठोस कार्रवाई से राज्य में नक्सलियों की उपस्थिति तेजी से कम हुई है।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले साल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 46 'वन-स्टॉप फैसिलिटी सेंटर' खोले गए, जो नौकरी के अवसर, फॉरेस्ट राइट्स सर्टिफिकेट और आवश्यक सेवाएँ प्रदान करते हैं। शहीद आशीष शर्मा को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि हॉक फोर्स के सदस्यों समेत 328 पुलिस अधिकारियों को उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन दिया गया है।

डीजीपी कैलाश मकवाना ने एक बार फिर कहा कि मुख्यमंत्री की नेतृत्व में अभियान को मजबूती मिली है, नए कैंप स्थापित किए गए हैं और बल बढ़ाया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अधिकारियों और सैनिकों को लगातार प्रेरित किया जा रहा है और इसका परिणाम सरेंडर की बढ़ती संख्या में नजर आ रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस नक्सल-मुक्त भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, और प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं और नागरिकों को रोजगार और कौशल विकास के माध्यम से मुख्यधारा में लाने में काफी प्रगति हुई है।

Point of View

बल्कि यह भी बताती है कि कैसे सरकार अपने नागरिकों को मुख्यधारा में लाने के लिए काम कर रही है। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को एक नई शुरुआत का अवसर दिया गया है, जो समाज के लिए सकारात्मक संकेत है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

मध्य प्रदेश में माओवादियों का आत्मसमर्पण क्यों हुआ?
माओवादियों ने सरकार की रिहैबिलिटेशन पॉलिसी के तहत आत्मसमर्पण किया, जो उन्हें एक नई शुरुआत का अवसर देती है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस पर क्या कहा?
मुख्यमंत्री ने आत्मसमर्पण करने वालों को भारतीय संविधान की प्रति दी और नक्सल प्रभाव से प्रदेश को मुक्त करने की प्रतिबद्धता जताई।
सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान को मजबूत करने के लिए नए कैंप और पोस्ट स्थापित किए हैं।
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