क्या अगले हफ्ते महंगाई के आंकड़े और अमेरिका व्यापार वार्ता शेयर मार्केट की दिशा तय करेंगे?
सारांश
Key Takeaways
- अगले हफ्ते महंगाई के आंकड़े शेयर बाजार पर प्रभाव डाल सकते हैं।
- भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता का सकारात्मक परिणाम महत्वपूर्ण है।
- रुपये की मूल्य वृद्धि और विदेशी निवेशकों की गतिविधियाँ चिंताजनक हैं।
- निफ्टी के लिए रेजिस्टेंस और सपोर्ट स्तर महत्वपूर्ण हैं।
- बाजार में अस्थिरता की संभावना बनी हुई है।
मुंबई, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय शेयर बाजार ने इस हफ्ते उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और अब अगले हफ्ते बाजार का रुख कुछ महत्वपूर्ण घरेलू और वैश्विक कारकों पर निर्भर करेगा। इनमें होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) यानी थोक मूल्य सूचकांक के महंगाई आंकड़े, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता, रुपये की गतिविधियां और विदेशी निवेशकों की गतिविधियां शामिल हैं।
शुक्रवार को सेंसेक्स 450 अंक यानी 0.53 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 85,267.66 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 148 अंक यानी 0.57 प्रतिशत बढ़कर 26,046.95 पर पहुँच गया। मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स ने भी सकारात्मक प्रदर्शन किया, जिसमें मिडकैप इंडेक्स में 1.14 प्रतिशत और स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.65 प्रतिशत की बढ़त देखी गई।
शेयर बाजार में निवेशकों की संपत्ति भी एक ही दिन में जबरदस्त बढ़ोतरी से गुज़री। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल मार्केट कैप 470 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया, जो पिछले सत्र में 466.6 लाख करोड़ रुपये था। यानि, एक दिन में बाजार ने 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उछाल देखा।
आने वाले सप्ताह में महंगाई के आंकड़े बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय सोमवार, 15 दिसंबर को नवंबर महीने का डब्ल्यूपीआई महंगाई डेटा जारी करेगा।
इसके अलावा, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर भी सभी की निगाहें रहेंगी। कई रिपोर्टों के अनुसार, भारत और अमेरिका ने दो दिवसीय वार्ता के बाद एक-दूसरे के साथ सकारात्मक और रचनात्मक बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है। इस वार्ता में व्यापार से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई और दोनों देशों के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए मोल-भाव जारी है, जो व्यापारिक दृष्टि से दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।
रुपये की मूल्य वृद्धि भी एक प्रमुख मुद्दा है। विदेशी निवेशकों की निरंतर निकासी, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर असमंजस और आयातकों द्वारा डॉलर की मजबूत मांग के कारण रुपये पर दबाव बना हुआ है।
विदेशी निवेशकों की गतिविधि भी बाजार के लिए चिंता का कारण बन रही है। 2025 में विदेशी निवेशक लगातार नेट सेलर बने हुए हैं और वे पिछले दो दशकों में दूसरी सबसे बड़ी बिक्री के रिकॉर्ड पर पहुँचने वाले हैं।
मार्केट विशेषज्ञों का कहना है कि निफ्टी के लिए 26,200, 26,400 और 26,500 के स्तर पर रेजिस्टेंस है, जबकि 25,900 और 25,800 पर सपोर्ट देखने को मिल सकता है। यदि निफ्टी 25,700 से नीचे चला जाता है, तो अधिक बिकवाली की संभावना है।