क्या महाराष्ट्र विधानसभा में लाडकी बहिन योजना पर हुआ वाकयुद्ध?

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क्या महाराष्ट्र विधानसभा में लाडकी बहिन योजना पर हुआ वाकयुद्ध?

सारांश

महाराष्ट्र विधानसभा में 'लाडकी बहिन योजना' पर सत्ताधारी और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई है। विपक्ष ने योजना में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं और सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं। इस बहस ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है।

Key Takeaways

  • महिला कल्याण के लिए योजनाएँ महत्वपूर्ण हैं।
  • भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
  • सरकार की जवाबदेही जरूरी है।
  • सत्यापन प्रक्रियाओं का पालन होना चाहिए।
  • राजनीतिक बहसें समाज पर असर डालती हैं।

नागपुर, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र विधानसभा में बुधवार को सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी दलों के सदस्यों के बीच 'लाडकी बहिन योजना' के कार्यान्वयन पर गंभीर बहस हुई।

यह बहस खासकर कथित भ्रष्टाचार और पात्र लाभार्थियों को दी जाने वाली मासिक वित्तीय सहायता को 1,500 रुपए से बढ़ाकर 2,100 रुपए करने के वादे को लेकर थी।

यह बहस शिवसेना-यूबीटी विधायक सुनील प्रभु द्वारा प्रस्तुत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव से शुरू हुई, जिन्होंने इस लोकप्रिय योजना में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए।

प्रभु ने आरोप लगाया कि 12,431 पुरुषों ने धोखाधड़ी से पंजीकरण कराया और 1,500 रुपए का मासिक लाभ प्राप्त किया, जिससे सार्वजनिक धन के 164 करोड़ रुपए का दुरुपयोग हुआ।

कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाते हुए कहा कि आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी सेविकाओं और ग्राम सेवकों को लाभार्थियों का नामांकन करने के लिए लक्ष्य दिए गए थे, जिसके कारण फर्जी फॉर्म भरे गए।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को जनता के धन के कुप्रबंधन के लिए जवाबदेह होना चाहिए।

महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने आरोपों का जवाब देते हुए सरकार द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदमों की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि योजना के लिए जारी किए गए पहले सरकारी संकल्प (जीआर) के साथ ही 2.63 करोड़ लाभार्थियों का सत्यापन शुरू हो गया था।

उन्होंने ई-केवाईसी और 13 नई शर्तों को लागू करने के संबंध में एनसीपी-एसपी विधायक जयंत पाटिल की आलोचना का खंडन करते हुए समझाया कि केवाईसी जरूरी थी क्योंकि कई महिलाओं के पास बैंक खाते नहीं हैं और उन्होंने परिवार के पुरुष मुखिया के बैंक विवरण प्रदान किए थे।

मंत्री तटकरे ने सदन को आश्वासन दिया कि जिस मामले में पुरुष लाभार्थियों के खातों में पैसा जमा किया गया है, उनकी जांच की जाएगी और यदि यह पुष्टि हो जाती है कि पुरुष महिला योजना से लाभान्वित हो रहे हैं, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी और वसूली शुरू की जाएगी।

इस योजना के राजनीतिक प्रभाव को लेकर मंत्री शंभूराज देसाई (शिव सेना) और विधायक जयंत पाटिल (एनसीपी-एसपी) के बीच एक नाटकीय राजनीतिक बहस हुई।

जयंत पाटिल ने तंज कसते हुए कहा कि लोकप्रिय योजना शुरू करने वाले मुख्यमंत्री (एकनाथ शिंदे का जिक्र करते हुए) 'नंबर 1' से 'नंबर 2' पर आ गए हैं। देसाई ने तुरंत पलटवार करते हुए महायुति नेताओं के समय-समय पर पद बदलने के पूर्व बयानों का हवाला दिया।

उन्होंने जोर देकर कहा कि एकनाथ शिंदे हमेशा 'नंबर 2' पर नहीं रहेंगे।

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने लाडकी बहिन योजना का पुरजोर बचाव किया और विपक्ष पर हमला बोला।

शिंदे ने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के रूप में इस योजना को शुरू किया था। शिंदे ने विपक्ष द्वारा फैलाई जा रही लगातार अफवाहों का खंडन करते हुए दृढ़ता से कहा कि लड़की बहन योजना कभी बंद नहीं होगी।

Point of View

यह भी महत्वपूर्ण है कि आरोपों की गहराई से जांच की जाए ताकि वास्तविकता सामने आ सके।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

लाडकी बहिन योजना क्या है?
लाडकी बहिन योजना एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
इस योजना में भ्रष्टाचार के आरोप क्यों लगे?
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि कई पुरुषों ने धोखाधड़ी से पंजीकरण कराकर लाभ प्राप्त किया है।
सरकार ने इस मामले में क्या कदम उठाए?
सरकार ने योजना में सुधारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया है और लाभार्थियों का सत्यापन शुरू किया है।
क्या इस योजना का भविष्य सुरक्षित है?
उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि योजना बंद नहीं होगी और इसकी वैधता की जांच की जाएगी।
इस योजना का राजनीतिक प्रभाव क्या है?
इस योजना का राजनीतिक असर आगामी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण हो सकता है।
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