क्या महाराष्ट्र विधानसभा ने स्टाम्प ड्यूटी विवादों में राहत देने वाला बिल पास किया?
सारांश
Key Takeaways
- नागरिकों को राहत
- सीधे राज्य सरकार से अपील
- 1 हजार रुपए की फीस
- हाई कोर्ट में केस की संख्या कम
- राज्य सरकार का फंसा हुआ राजस्व
नागपुर, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र विधानसभा ने शुक्रवार को महाराष्ट्र स्टाम्प ड्यूटी (दूसरा संशोधन) बिल 2025 में बदलाव के लिए एक बिल बिना किसी विरोध के पास कर दिया। इसका मुख्य उद्देश्य स्टाम्प ड्यूटी से जुड़े विवादों में आम नागरिक को राहत प्रदान करना है।
इस प्रस्तावित विधेयक में नागरिकों को स्टाम्प ड्यूटी से जुड़े मामलों में हाई कोर्ट जाने के बजाय सीधे राज्य सरकार के समक्ष अपील करने की सुविधा देने की बात की गई है।
राज्य सरकार के रेवेन्यू मिनिस्टर चंद्रशेखर बावनकुले ने यह बिल विधानसभा में पेश किया।
इस बिल पर चर्चा करते हुए विधायक भास्कर जाधव और अतुल भातखलकर ने अपने विचार साझा किए, जिसके बाद सदन ने इसे बिना किसी विरोध के पास कर दिया।
मंत्री बावनकुले ने कहा, "वर्तमान में 'महाराष्ट्र स्टाम्प एक्ट, 1958' के नियमों के अनुसार, चीफ कंट्रोलिंग रेवेन्यू ऑफिसर द्वारा दिए गए आदेशों को केवल हाई कोर्ट में रिट पिटीशन फाइल करके ही चुनौती दी जा सकती थी। इससे हाई कोर्ट पर केस का बोझ और पक्षों के कानूनी खर्च बढ़ गए। साथ ही, कोर्ट में मामलों के लंबित रहने के कारण राज्य सरकार का राजस्व भी प्रभावित होता था। इसके समाधान के लिए, एक नया 'सेक्शन 53बी' जोड़ा गया है।"
नए नियम के अंतर्गत, कोई भी व्यक्ति जो चीफ कंट्रोलर रेवेन्यू अथॉरिटी के आदेश से असंतुष्ट है, वह अब आदेश मिलने की तारीख से 60 दिनों के भीतर राज्य सरकार के पास अपील कर सकता है।
इस अपील के लिए 1 हजार रुपए की फीस निर्धारित की गई है। राज्य सरकार दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अंतिम निर्णय देगी।
मंत्री बावनकुले ने विश्वास जताया कि इस बदलाव से हाई कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या कम होगी और आम नागरिक का समय और पैसा बचेगा।
बिल के उद्देश्य और कारणों में यह स्पष्ट किया गया है कि इससे राज्य सरकार का फंसा हुआ राजस्व भी शीघ्र प्राप्त होगा। उन्होंने आगे कहा कि यह बिल सेक्शन 32सी और सेक्शन 53 में भी बदलाव लाएगा।
उन्होंने कहा कि यह बिल नागरिकों को शीघ्र न्याय दिलाने और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने में महत्वपूर्ण होगा।