क्या महाराष्ट्र में किसानों की स्थिति वास्तव में बदहाल है?: नाना पटोले

सारांश
Key Takeaways
- किसानों की आत्महत्या की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
- राजनीतिक सियासत इस मुद्दे को जटिल बना रही है।
- सरकार को किसानों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
- मौसम की अनिश्चितता किसानों के लिए बड़ी चुनौती है।
- राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की विजय रैली 5 जुलाई को है।
मुंबई, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के लातूर जिले में एक किसान की आत्महत्या की घटना ने राज्य में किसानों की स्थिति को लेकर सियासत को और गर्म कर दिया है। विपक्षी दल कांग्रेस के नेता नाना पटोले ने बुधवार को कहा कि यह घटना किसानों की खस्ताहाल स्थिति को उजागर करती है।
नाना पटोले ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में लातूर जिले में किसान की आत्महत्या को एक गंभीर मामला बताया। उन्होंने कहा, "इससे राज्य में किसानों की बदहाल स्थिति स्पष्ट होती है। मैंने इस मुद्दे को महाराष्ट्र विधानसभा में उठाया और इस पर चर्चा की मांग की, लेकिन सरकार और विधानसभा अध्यक्ष हमारी आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले सीजन की बारिश से प्रभावित फसलों के लिए किसानों को मुआवजा अब तक नहीं मिला है। हमने यह बात भी सदन में रखी। प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित किसानों को भी कोई राहत नहीं दी गई है। यह सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी है। हम बार-बार सवाल उठा रहे हैं, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष सरकार को बचाने में लगे हुए हैं।
महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या को लेकर शिवसेना विधायक दिलीप लांडे ने कहा, "मैं भी एक किसान का बेटा हूं। मौसम और बारिश की स्थिति के कारण किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। कभी बहुत अधिक बारिश होती है, कभी बहुत कम, जिससे किसानों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार पर जिन किसानों ने भरोसा जताया है, उनकी सेवा करना और उनका सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है। मैं इस जिम्मेदारी को गंभीरता से निभा रहा हूं। विधानसभा के भीतर भी लगातार किसानों की समस्याओं को सरकार के सामने रख रहा हूं और मांग कर रहा हूं कि उन्हें हरसंभव सहायता मिले।"
उन्होंने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एक साथ विजय उत्सव मनाने को लेकर कहा, "मुंबई महानगरपालिका और महाराष्ट्र के सभी प्रमुख शहरों, जिनमें जिला और तालुका परिषदें भी शामिल हैं, के लिए चुनाव होने वाले हैं। हर राजनीतिक दल अपने विचार लोगों के सामने रखेगा, चाहे वह गठबंधन, आंदोलन या जीत के जश्न के जरिए हो। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है।"
बता दें कि महाराष्ट्र के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में हिंदी की अनिवार्यता के मुद्दे पर अब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे 5 जुलाई को मुंबई में विजय रैली करेंगे।