क्या महर्षि वाल्मीकि ने हमें भवसागर से पार लगाने वाला अमृत जैसा रामनाम दिया? : बांसुरी स्वराज

सारांश
Key Takeaways
- महर्षि वाल्मीकि ने हमें राम नाम दिया है।
- राम नाम भवसागर से पार लगाने में मदद करता है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की है।
- भगवान वाल्मीकि की पूजा अर्चना से यज्ञ पूर्ण होते हैं।
- राम नाम का उच्चारण विष्णु सहस्त्रनाम का फल देता है।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली भाजपा एससी मोर्चा द्वारा महर्षि वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में "पुष्पांजलि कार्यक्रम" का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नई दिल्ली से सांसद बांसुरी स्वराज मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुईं। इस कार्यक्रम में उन्होंने रामनाम के महत्व और महर्षि वाल्मीकि के जीवन पर प्रकाश डाला।
भगवान महर्षि वाल्मीकि प्रकोटत्सव की पूर्व संध्या पर प्रदेश कार्यालय में आयोजित पुष्पांजलि समारोह को संबोधित करते हुए बांसुरी स्वराज ने कहा कि भगवान वाल्मीकि श्रीराम नाम के दाता हैं, क्योंकि कलयुग में केवल श्रीराम नाम का ही सहारा है। यदि भगवान वाल्मीकि हमें राम नाम की कथा नहीं बताते, तो हम इतने मार्मिक प्रसंगों से वंचित रह जाते। महर्षि वाल्मीकि यदि हमें अमृत जैसा रामनाम नहीं देते, तो हम राम कथा से वंचित रह जाते और संभवतः हम इस भवसागर से पार नहीं पाते।
उन्होंने आगे कहा कि यह कहा जाता है कि भगवान वाल्मीकि की पूजा अर्चना ना करने से हमारा कोई भी यज्ञ पूर्ण नहीं होता। यह वही वाल्मीकि हैं, जिन्होंने माता सीता को आश्रय दिया था। नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र में पांडव काल का एक मंदिर भी है। लव और कुश को बाल्यकाल में श्रीराम के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को पकड़ने की क्षमता भी उनके गुरु महर्षि वाल्मीकि ने दी थी।
बांसुरी स्वराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने भगवान वाल्मीकि के आदर्श प्रभु श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में करने का कार्य किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सनातनियों के 500 वर्षों के संघर्ष को समाप्त किया है। उन्होंने कहा कि भगवान वाल्मीकि ने हमेशा से प्रभु श्रीराम के उत्कृष्ट चरित्र को हमारे सामने रखा है। राम नाम के उच्चारण मात्र से विष्णु सहस्त्रनाम का फल प्राप्त होता है। रामनाम मानवता को भवसागर से पार लगा देता है।