क्या महायुति को बड़ा झटका लगा? रामदास अठावले की आरपीआई बीएमसी चुनाव में स्वतंत्र रूप से लड़ेगी

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क्या महायुति को बड़ा झटका लगा? रामदास अठावले की आरपीआई बीएमसी चुनाव में स्वतंत्र रूप से लड़ेगी

सारांश

क्या महायुति को एक बड़ा झटका लगा है? केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने बीएमसी चुनावों में स्वतंत्र रूप से लडऩे की घोषणा की। क्या यह निर्णय अंबेडकरवादी समुदाय पर असर डालेगा?

Key Takeaways

  • आरपीआई ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।
  • महायुति गठबंधन पर विश्वासघात का आरोप लगाया गया।
  • 227 सदस्यीय बीएमसी चुनाव में 39 उम्मीदवारों की घोषणा।
  • अंबेडकरवादी समुदाय का समर्थन महत्वपूर्ण।
  • राजनीतिक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि यह महायुति के लिए चुनौती है।

मुंबई, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा-शिवसेना गठबंधन को एक बड़ा झटका देते हुए, केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने मंगलवार को ऐलान किया कि उनकी पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए), बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेगी।

मंत्री अठावले ने सीट बंटवारे को लेकर महायुति गठबंधन पर "विश्वासघात" का आरोप लगाते हुए, नामांकन की समय सीमा से कुछ घंटे पहले 39 उम्मीदवारों की एक सूची जारी की, जो एक बड़े मतभेद का संकेत देती है।

संयोगवश, मंगलवार 15 जनवरी को होने वाले 227 सदस्यीय बीएमसी चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन था। पार्टी ने उत्तरी, उत्तर-मध्य, उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी मुंबई में उम्मीदवार उतारे हैं।

कई चेतावनियों और उच्चस्तरीय चर्चाओं के बावजूद, आरपीआई (ए) को कथित तौर पर सीट वार्ता के अंतिम चरण तक अधर में लटकाए रखा गया। मंत्री अठावले ने आरोप लगाया कि महायुति गठबंधन अपने वादों को पूरा करने में विफल रहा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही निर्देश दिया था कि आरपीआई को भाजपा के कोटे से सीटें आवंटित की जाएं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

मंत्री अठावले ने पत्रकारों से कहा, "भाजपा और शिंदे गुट ने हमें सात सीटें देने का वादा किया था। हालांकि, दोनों दलों द्वारा जारी आधिकारिक सूचियों में आरपीआई का एक भी उम्मीदवार शामिल नहीं था। इसलिए, हमने अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।"

अठावले ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्‍स पर पोस्ट में कहा, आरपीआई (ए) ने बीएमसी चुनावों में अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय क्यों लिया। उन्होंने कहा, "भाजपा ने सोमवार देर रात सिर्फ 7 सीटों का प्रस्ताव रखा, लेकिन आखिरी समय में नए स्थानों पर उम्मीदवार उतारना अब असंभव है। मुंबई में हमारी ताकत वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) से कहीं अधिक होने के बावजूद, सीट बंटवारे की बातचीत में हमें दरकिनार कर दिया गया, जिससे पूरे महाराष्ट्र में आरपीआई कार्यकर्ताओं में तीव्र असंतोष है। हम अन्य नेताओं की तरह नहीं हैं जो बार-बार शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं या अपने फायदे के लिए अपना रुख बदलते हैं। मूल रूप से, हम पार्टी, कार्यकर्ताओं और उनके आत्मसम्मान को भूलकर समझौता करने को स्वीकार नहीं कर सकते, क्योंकि कार्यकर्ताओं की ताकत ही पार्टी की असली ताकत है। इसलिए, हम ऐसा कोई रुख नहीं अपनाएंगे जिससे कार्यकर्ताओं की गरिमा और पार्टी का अस्तित्व खतरे में पड़े। हमारा वचन और हमारी निष्ठा अटल है।"

उन्होंने आगे कहा, "व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो अंबेडकरवादी समाज की सत्ता का शासन में भाग लेना और इसके माध्यम से आम जनता के लिए काम को निर्बाध रूप से जारी रखना अत्यंत आवश्यक है। इसी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हमने महायुति के साथ बने रहने का निर्णय लिया है। चुनाव परिणामों के बाद कई और निर्णय लिए जा सकते हैं, लेकिन अभी यह स्पष्ट है कि हम 38 से 39 सीटों पर सौहार्दपूर्ण चुनाव लड़ेंगे। हालांकि महायुति के प्रति हमारा समर्थन दृढ़ है, इन सीटों पर आरपीआई अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी।"

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आरपीआई (ए) का यह फैसला महायुति गठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती है। अंबेडकरवादी समुदाय, जो मुंबई के कुछ खास इलाकों में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है, अठावले के कारण पारंपरिक रूप से इस गठबंधन का समर्थन करता आया है। नगर निगम चुनावों में, जहां जीत का अंतर मात्र 100 से 200 वोटों का हो सकता है, आरपीआई के स्वतंत्र उम्मीदवारों की मौजूदगी दलित वोटों को बांट सकती है, जिससे कई अहम वार्डों में भाजपा और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के उम्मीदवारों की संभावनाओं को सीधा नुकसान पहुंच सकता है।

Point of View

NationPress
30/12/2025

Frequently Asked Questions

आरपीआई ने बीएमसी चुनाव में स्वतंत्र रूप से क्यों लडऩे का फैसला लिया?
आरपीआई ने महायुति गठबंधन के साथ सीट बंटवारे में विश्वासघात की भावना के कारण स्वतंत्र रूप से चुनाव लडऩे का निर्णय लिया।
कौन से क्षेत्रों में आरपीआई ने उम्मीदवार उतारे हैं?
आरपीआई ने उत्तरी, उत्तर-मध्य, उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी मुंबई में उम्मीदवार उतारे हैं।
महायुति का समर्थन आरपीआई के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
महायुति का समर्थन आरपीआई के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अंबेडकरवादी समुदाय इस गठबंधन का पारंपरिक समर्थनदाता रहा है।
क्या आरपीआई के स्वतंत्र उम्मीदवारों से चुनाव परिणाम प्रभावित होंगे?
हाँ, आरपीआई के स्वतंत्र उम्मीदवारों की मौजूदगी दलित वोटों को बांट सकती है, जिससे कई वार्डों में परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
रामदास अठावले का बयान क्या कहता है?
उनका बयान यह दर्शाता है कि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और उनके आत्मसम्मान के प्रति प्रतिबद्ध है।
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