क्या महेश बाबू की स्क्रीन प्रेजेंस ने उन्हें फैंस का दीवाना बना दिया?

सारांश
Key Takeaways
- महेश बाबू का अभिनय और स्क्रीन प्रेजेंस उन्हें खास बनाता है।
- उनकी फिल्में जैसे पोकिरी ने उन्हें सुपरस्टार का दर्जा दिलाया।
- वे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं।
- महेश बाबू की प्रोडक्शन कंपनी नए कलाकारों को प्रोत्साहित कर रही है।
- उनका व्यक्तिगत जीवन भी बहुत प्रेरणादायक है।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। साउथ सिनेमा के सुपरस्टार महेश बाबू, जिन्हें 'प्रिंस ऑफ टॉलीवुड' के नाम से जाना जाता है, साउथ फिल्म उद्योग के सबसे प्रमुख सितारों में से एक हैं। उनकी अद्भुत अभिनय क्षमता, आकर्षक व्यक्तित्व और स्क्रीन प्रेजेंस ने उन्हें दर्शकों का प्रिय बना दिया है।
महेश बाबू हर भूमिका में जान डाल देते हैं, चाहे वह एक्शन से भरपूर फिल्में हों या भावनात्मक ड्रामा। उनकी फिल्में जैसे मुरारी, अथाडु, और पोकिरी ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलताएं हासिल की हैं, बल्कि उनकी बहुमुखी प्रतिभा को भी उजागर किया है। उनके प्रशंसक उनकी स्टाइल, डायलॉग डिलीवरी और सादगी की प्रशंसा करते हैं। इसके अलावा, उनकी प्रोडक्शन कंपनी नए कलाकारों को एक मंच प्रदान कर रही है।
9 अगस्त 1975 को तमिलनाडु के चेन्नई में जन्मे महेश बाबू तेलुगु फिल्म उद्योग के एक महान अभिनेता हैं। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत केवल चार वर्ष की उम्र में की थी। वे आधा दर्जन से अधिक फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम कर चुके हैं।
महेश बाबू, प्रसिद्ध तेलुगु अभिनेता कृष्णा घट्टामनेनी के पुत्र हैं।
उन्होंने मुख्य अभिनेता के रूप में अपने करियर की शुरुआत 1999 में फिल्म राजाकुमारुडु से की। इस फिल्म की सफलता ने उन्हें प्रिंस की उपाधि दिलाई और उन्हें सर्वश्रेष्ठ पुरुष डेब्यू के लिए नंदी पुरस्कार भी मिला। यह फिल्म उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई।
महेश बाबू ने अपने करियर में मुरारी (2001), ओक्कडु (2003), अथाडु (2005), और पोकिरी (2006) जैसी फिल्मों के साथ तेलुगु सिनेमा में अपनी पहचान बनाई। खासतौर पर पोकिरी उस समय की सबसे अधिक कमाई करने वाली तेलुगु फिल्म बनी और इसने उन्हें सुपरस्टार का दर्जा दिलाया।
महेश बाबू को उनकी फिल्मों में शानदार अभिनय के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें नंदी पुरस्कार, फिल्मफेयर साउथ पुरस्कार, और साउथ इंडियन इंटरनेशनल मूवी अवॉर्ड्स शामिल हैं।
एक अभिनेता के रूप में वे जितने कुशल हैं, उतने ही वे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहते हैं।
महेश बाबू फाउंडेशन के माध्यम से बच्चों को चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही है।
महेश बाबू के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उनकी पत्नी नम्रता शिरोडकर से उनकी मुलाकात साल 2000 में उनकी फिल्म 'वामसी' के सेट पर हुई थी।
दोनों के बीच की नजदीकी बढ़ी और उन्होंने फरवरी 2005 में विवाह किया। उनके दो बच्चे हैं, बेटे का नाम गौतम घट्टामनेनी और बेटी का नाम सितारा घट्टामनेनी है।