क्या केंद्र सरकार ने इतने सारे घुसपैठियों को आने दिया है? महुआ माजी ने तय की जिम्मेदारी
सारांश
Key Takeaways
- महुआ माजी ने घुसपैठियों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया।
- बच्चों का जन्म भारत में हुआ है, उनका कोई अपराध नहीं है।
- केंद्र सरकार को जवाबदेही लेनी चाहिए।
- महिला अधिकारों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- ईवीएम में गड़बड़ियों का मुद्दा भी उठाया गया।
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश में उपस्थित घुसपैठियों के मुद्दे पर जेएमएम सांसद महुआ माजी ने कहा है कि देश यह सवाल उठा रहा है कि जब दस वर्षों से भाजपा की सरकार है तो उनके लिए रेड कार्पेट किसने बिछाया?
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि देश की सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती है। केंद्र सरकार ने इतनी संख्या में घुसपैठियों को आने और रहने कैसे दिया? रेड कार्पेट बिछाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
महुआ माजी ने कहा कि जिन बच्चों का भारत में जन्म हुआ है, उनका कोई अपराध नहीं है। उन्होंने तो यहां की दुनिया देखी है, उन्हें बाहर निकाला जाएगा, उनका क्या होगा? असली गुनहगार वे लोग हैं, जिन्होंने इन्हें देश में आने दिया। जिम्मेदार लोगों को जवाबदेही लेनी चाहिए।
सांसद ने यह भी कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार ने करोड़ों लोगों को रोजगार देने का वादा किया था। उन लोगों को नौकरियां दी जाएं, जिन्हें नौकरी देने का वादा किया गया था। महिलाओं को न्याय मिले। विदेश में हमारे युवा नौकरी कर रहे हैं क्योंकि यहां नौकरी नहीं है। उन्हें भी देश में रोजगार मिलना चाहिए।
ईवीएम से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर बूथ पर गड़बड़ियां पाई गई हैं। ईवीएम में कई वोट फर्जी पड़ जाते हैं। हो सकता है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव अच्छे से हुए हों और वहां पर गड़बड़ी न हुई हो।
महुआ माजी ने कहा कि एसआईआर एक गंभीर मुद्दा है। जिस तरह से बीएलओ की मौत हो रही है, उन पर दबाव है। हम इस मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं, लेकिन सरकार पता नहीं क्यों चर्चा से भाग रही है। ऑल पार्टी मीटिंग में सरकार ने कहा था कि हम चर्चा करेंगे, लेकिन दो दिन व्यर्थ हो गए। बहुमूल्य समय बर्बाद नहीं होना चाहिए। नए चेयरमैन आए हैं, उन्हें भी समझने का मौका नहीं मिल रहा है। विरोध चलता रहता है और अंत में सरकार मानती है।
महुआ माजी ने कहा कि हम सभी चाहते हैं कि हमारे देश के प्रधानमंत्री की बातें दुनिया में ध्यान से सुनी जाएं और उन पर अमल भी किया जाए, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद हमें बहुत मायूसी हुई। जब विश्व के देशों ने हमारा समर्थन नहीं किया, अमेरिका ने हमें अपमानित किया।