क्या मालेगांव ब्लास्ट मामले में मेजर रमेश उपाध्याय को बाइज्जत बरी किया गया?

सारांश
Key Takeaways
- मेजर रमेश उपाध्याय को एनआईए कोर्ट ने बाइज्जत बरी किया।
- भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता का उदाहरण।
- मेजर उपाध्याय ने अपनी बेगुनाही साबित की।
- जांच में एटीएस और एनआईए ने कोई सबूत नहीं पेश किया।
- मेजर ने राजनीतिक नेताओं पर आरोप लगाए।
मालेगांव, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मालेगांव ब्लास्ट के मामले में आरोपी रहे मेजर रमेश उपाध्याय को एनआईए कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद, मेजर उपाध्याय ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में अपनी भावनाएं साझा की। उन्होंने कहा, "मैं भारतीय न्यायपालिका का बहुत आभारी हूं, जिसने मेरा भरोसा कायम रखा और मुझे निर्दोष साबित किया।"
मेजर उपाध्याय ने बताया कि उन्हें प्रारंभ से ही इस निर्णय की उम्मीद थी, क्योंकि वे जानते थे कि वे दोषी नहीं हैं। उन्होंने अपने वकीलों, मीडिया और समर्थन करने वाले लोगों का धन्यवाद किया।
उन्होंने कहा, "मैंने कोर्ट में अपनी पीड़ा पहले ही बता दी है। अब पुरानी बातों को दोहराना नहीं चाहता। कृपया मुझे माफ करें। कोर्ट का विस्तृत फैसला आने दीजिए, फिर बात होगी।"
मेजर उपाध्याय ने यह भी बताया कि प्रशासन और जांच एजेंसियों ने उनके खिलाफ जो आरोप लगाए, उन्हें वे साबित नहीं कर पाए, जिससे उनकी बेगुनाही स्पष्ट हुई।
उन्होंने जोर देकर कहा कि असली दोषियों को पकड़ना पुलिस और अभियोजन का काम है, न कि उनका। "हम पर झूठा आरोप लगाया गया था, इसलिए हमें कोर्ट में अपनी बात साबित करनी पड़ी, जो हमने कर दिखाया।"
उन्होंने यह भी कहा कि जांच में एटीएस और एनआईए भी उनके खिलाफ कुछ साबित नहीं कर पाईं, इसलिए अब किसी पर आरोप लगाना उचित नहीं होगा।
मेजर उपाध्याय ने कांग्रेस नेताओं पर भी निशाना साधा और कहा कि सुशील कुमार शिंदे, दिग्विजय सिंह और सोनिया गांधी ने 'भगवा आतंकवाद' का मुद्दा उठाकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश की, लेकिन जनता ने इसका विरोध किया।
उन्होंने पुनः कहा कि कोर्ट ने उन्हें और अन्य आरोपियों को बाइज्जत बरी किया है। मेजर ने कहा, "जो आरोप लगाए गए, वे साबित नहीं हुए। यह हमारी जीत है और हम न्यायपालिका के प्रति कृतज्ञ हैं।"