क्या मणिपुर का तामेंगलोंग प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना में शामिल हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देना
- किसानों की आय में सुधार
- तामेंगलोंग जिले की संभावनाएँ
- जल संकट से निपटना
- एगमार्क प्रमाणन का महत्व
इंफाल, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मणिपुर के पहाड़ी तामेंगलोंग जिले को प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (पीएमडीडीकेवाई) के कार्यान्वयन के लिए देश भर के 100 जिलों में चुना गया है। यह एक केंद्रीय योजना है जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देना और किसानों की आय में सुधार करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कृषि क्षेत्र में 35,440 करोड़ रुपये की लागत वाली दो महत्वपूर्ण योजनाओं का शुभारंभ किया। इनमें से एक 24,000 करोड़ रुपये की लागत वाली प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना है और दूसरी 11,440 करोड़ रुपये की लागत वाला दलहन आत्मनिर्भरता मिशन है।
प्रधानमंत्री ने कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में 5,450 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन किया और राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने लगभग 815 करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी।
प्रधानमंत्री के वर्चुअल भाषण के बाद, मणिपुर सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (कृषि) विवेक कुमार देवांगन ने इम्फाल में जानकारी दी कि तामेंगलोंग जिले को पीएमडीडीकेवाई के अंतर्गत चुना गया है।
उन्होंने कहा, "तामेंगलोंग में बहुत सी संभावनाएं हैं, लेकिन कम फसल उपज और जल संकट जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पीएमडीडीकेवाई इन समस्याओं को हल करेगा और राज्य का राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में योगदान सुनिश्चित करेगा।" देवांगन ने स्थानीय उत्पादकों को उत्पाद की विश्वसनीयता और बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए एगमार्क प्रमाणन प्राप्त करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। कृषि विभाग अन्य जिलों के लिए तामेंगलोंग की आदर्श कार्य योजना साझा करेगा।
मणिपुर की कृषि क्षमता पर प्रकाश डालते हुए, मुख्य सचिव पुनीत कुमार गोयल ने कहा, "हमें तामेंगलोंग को राष्ट्रीय रैंकिंग में शीर्ष 10 जिलों में लाने का लक्ष्य रखना चाहिए।" गोयल ने विभिन्न विभागों से सहयोग की अपील की ताकि तामेंगलोंग को देश के सर्वश्रेष्ठ कृषि जिलों में से एक बनाया जा सके।
मुख्य सचिव ने जोर देकर कहा कि पीएमडीडीकेवाई भारत के 100 सबसे कम विकसित कृषि जिलों के लिए एक एकीकृत विकास का मॉडल होगा। यह योजना मौजूदा विभागीय संसाधनों का समन्वय करके स्पष्ट परिणाम देने पर ध्यान केंद्रित करेगी। गोयल ने कहा कि नीति आयोग समय-समय पर प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर चयनित जिलों की रैंकिंग करेगा।