क्या मीना दिवस ने 13.90 लाख बच्चों को बालिकाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया?

सारांश
Key Takeaways
- बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढाई गई।
- शिक्षा और स्वास्थ्य के अधिकारों की पुष्टि की गई।
- सामाजिक मुद्दों पर नाटक और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन।
- बच्चों में आत्मविश्वास और sahas को बढ़ावा दिया गया।
- समाज में समानता की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
लखनऊ, 24 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग ने महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे ‘मिशन शक्ति’ अभियान के पांचवें चरण के तहत बुधवार को पूरे प्रदेश में ‘मीना दिवस’ और 'मीना मेले' का भव्य आयोजन किया।
इस अवसर पर 13.90 लाख बच्चों, 82,427 अध्यापकों और 2,20,313 अभिभावकों ने सक्रिय भागीदारी दिखाई। इस विशेष दिन का लक्ष्य बालिकाओं में आत्मविश्वास, शिक्षा और समाज में समान भागीदारी की भावना को बढ़ाना है।
बच्चों ने मीना के 'बहादुर' और 'निडर' चरित्र से प्रेरणा लेकर असमानता के खिलाफ आवाज उठाई और अपने अधिकारों के प्रति दृढ़ संकल्प लिया। मीना दिवस और मीना मेले के माध्यम से बच्चों और समुदाय ने यह संदेश दिया कि हर लड़की को शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान का अधिकार है। निडर और प्रेरणादायक फिल्म के माध्यम से बच्चों में आत्मविश्वास और साहस को बढ़ावा दिया गया। सभी विद्यालयों में केक काटने और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ उत्सव मनाया गया।
यह ध्यान देने योग्य है कि मीना दिवस का आयोजन बालिकाओं की शिक्षा, उनके अधिकार और समाज में समान भागीदारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए किया गया। यूनिसेफ द्वारा निर्मित बहादुर और निडर पात्र ‘मीना’ बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। मीना की कहानियां बच्चों को सिखाती हैं कि मेहनत और लगन से हर बच्चा अपने सपनों को पूरा कर सकता है, चाहे वह डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक या पायलट बनना चाहे।
प्रदेश के 1129 विद्यालयों में पीएमश्री के तहत आयोजित मीना मेले में बच्चों और समुदाय ने 10 से अधिक स्टाल बनाए, जिनमें विज्ञान और गणित के खेल, कबाड़ से जुगाड़, जलवायु परिवर्तन और स्वच्छता, कानूनी जागरूकता, माहवारी स्वच्छता प्रबंधन, बाल समाचार पत्र और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल थीं।
इसके अतिरिक्त, मेले में स्वास्थ्य और पोषण, बाल विवाह, दहेज प्रथा, महिला शिक्षा और सशक्तिकरण जैसे सामाजिक मुद्दों पर आधारित नाटकों, गीतों, एकांकी और पपेट शो का आयोजन किया गया।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग ने मिशन शक्ति 5.0 के इस चरण में बालिकाओं के स्वावलंबन, शिक्षा और अधिकारों के संरक्षण को प्राथमिकता दी है। मेरा मानना है कि जब बालिकाएं सशक्त होंगी, तभी समाज भी सशक्त बनेगा।