क्या मध्य पूर्व के बड़े हिस्से में उड़ान भरने से एयरलाइंस बच रही हैं, लागत में हो रहा इजाफा?

सारांश
Key Takeaways
- मध्य पूर्व में उड़ानें रद्द हो रही हैं।
- सुरक्षा चिंताएँ बढ़ रही हैं।
- उड़ान संचालन महंगा हो गया है।
- ईंधन की खपत में वृद्धि हो रही है।
- अमेरिकी एयरलाइंस के लिए जोखिम बढ़ सकता है।
नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका द्वारा रविवार को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद से मध्य पूर्व में हवाई यात्रा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के चलते, एयरलाइंस अब इस क्षेत्र के हवाई क्षेत्र के बड़े हिस्से से उड़ान भरने से बच रही हैं, जिससे उड़ानों में देरी, उड़ान का समय बढ़ने और लागत में वृद्धि हो रही है।
फ्लाइट ट्रैकिंग सेवा फ्लाइटरडार24 के अनुसार, कमर्शियल विमान ईरान, इराक, सीरिया और इजरायल जैसे देशों के ऊपर से उड़ान भरने से परहेज कर रहे हैं और अपने मार्गों में बदलाव कर रहे हैं। इसके बजाय, वे कैस्पियन सागर, मिस्र या सऊदी अरब जैसे सुरक्षित क्षेत्रों का लंबा रास्ता अपना रहे हैं।
इस बदलाव के कारण ईंधन की खपत में वृद्धि हो रही है और उड़ान संचालन महंगा होता जा रहा है।
फ्लाइटरडार24 द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर साझा की गई पोस्ट में कहा गया, "अमेरिकी हमलों के बाद, कमर्शियल विमान उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में उड़ान भरने से बच रहे हैं और पिछले सप्ताह लागू किए गए हवाई क्षेत्र प्रतिबंधों का पालन कर रहे हैं।"
मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, क्योंकि मिसाइल और ड्रोन हमले बढ़ रहे हैं। एविएशन रिस्क मॉनिटरिंग ग्रुप सेफ एयरस्पेस ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी हमलों के कारण मध्य पूर्व के पास उड़ान भरने वाली अमेरिकी एयरलाइनों के लिए जोखिम बढ़ सकता है।
हालांकि, अभी तक नागरिक विमानों को कोई सीधा खतरा नहीं है, लेकिन समूह ने कहा कि ईरान अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर या हिजबुल्लाह जैसे अपने सहयोगियों का इस्तेमाल करके जवाब दे सकता है।
सेफ एयरस्पेस ने यह भी चेतावनी दी है कि बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य खाड़ी देशों को भी खतरा बढ़ सकता है।
इजरायल की प्रमुख एयरलाइनों (एल अल, अर्किया और इसरेयर) ने इजरायली नागरिकों को वापस लाने के लिए बचाव उड़ानें चलाना बंद कर दिया है। एल अल ने यह भी घोषणा की है कि उसकी नियमित वाणिज्यिक उड़ानें कम से कम 27 जून तक निलंबित रहेंगी।