क्या प्रधानमंत्री मोदी आज बिहार जीविका निधि सहकारी संघ का उद्घाटन करेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं का सशक्तीकरण करेंगी।
- सस्ती वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराएंगी।
- 105 करोड़ रुपए का वित्तीय हस्तांतरण होगा।
- डिजिटल प्रणाली से लेनदेन सुनिश्चित होगा।
- 20 लाख महिलाएं इस उद्घाटन को लाइव देखेंगी।
नई दिल्ली, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ लिमिटेड का उद्घाटन करने जा रहे हैं। यह उद्घाटन दोपहर 12:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होगा।
इस उद्घाटन अवसर पर, प्रधानमंत्री इस नए सहकारी संस्थान के बैंक खाते में 105 करोड़ रुपए की राशि सीधे हस्तांतरित करेंगे, जिससे इसे एक मजबूत वित्तीय आधार प्राप्त होगा।
यह नया सहकारी संगठन बिहार के प्रमुख ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम 'जीविका' से जुड़ी महिलाओं को सस्ती और सुलभ वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। जीविका के तहत पंजीकृत सभी क्लस्टर-स्तरीय फेडरेशन इस नए संस्थान के सदस्य होंगे।
इस पहल को बिहार और केंद्र सरकार ने संयुक्त रूप से वित्त पोषित किया है।
पिछले कुछ वर्षों में जीविका के स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हजारों महिलाएं ग्रामीण उद्यमी बन चुकी हैं और उन्होंने राज्य भर में छोटे व्यवसायों और उत्पादन इकाइयों की शुरुआत की है। हालांकि, इनमें से कई महिलाएं अभी भी माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (एमएफआई) पर निर्भर थीं, जो 18 से 24 प्रतिशत की उच्च ब्याज दरों पर लोन प्रदान करते हैं।
जीविका निधि का उद्देश्य इस समस्या का समाधान करना है, जिसके तहत महिलाओं को कम ब्याज दरों पर बड़े लोन उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि महंगे लोन स्रोतों पर उनकी निर्भरता कम हो।
यह पूरी प्रणाली डिजिटल रूप से संचालित होगी, जिससे तेज और पारदर्शी लेनदेन सुनिश्चित होगा। इसके लिए लगभग 12,000 सामुदायिक कार्यकर्ताओं को टैबलेट प्रदान किए जा रहे हैं, ताकि वे जीविका की महिलाओं (जिन्हें 'दीदी' कहा जाता है) को वित्तीय सेवाओं तक पहुंचने और उनका उपयोग करने में सहायता कर सकें।
इस कदम से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलने, ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण और सामुदायिक नेतृत्व वाले उद्यमिता को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
बिहार भर में लगभग 20 लाख महिलाएं इस उद्घाटन समारोह को लाइव देखेंगी, जो इस पहल के व्यापक जमीनी प्रभाव को दर्शाता है।
जीविका निधि सहकारी संघ को बिहार में महिलाओं के सशक्तीकरण और सहकारी ताकत के आधार पर एक समावेशी और आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के निर्माण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।