क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सनातन संस्कृति की धारा बहाने के लिए प्रयास किए हैं?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से सनातन संस्कृति को बल मिल रहा है।
- गायों का संरक्षण भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
- गोवर्धन पर्व पर गायों की पूजा हमारे पारंपरिक मूल्यों को दर्शाती है।
- समाज और सरकार को मिलकर गौशालाओं का संचालन करना चाहिए।
- कुपोषण की समस्या के समाधान में गायों का दूध महत्वपूर्ण है।
इंदौर, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में सनातन संस्कृति की धारा प्रवाहित करने के लिए कई प्रयास किए हैं। यह बात उन्होंने इंदौर के हनोता स्थित रेशम केंद्र गौशाला में आयोजित गोवर्धन पूजा के अवसर पर कही।
मुख्यमंत्री यादव ने भारतीय समाज के लिए गाय की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे जीवन को सार्थक बनाने के लिए परमात्मा ने पहले से ही हमारे बीच गाय को भेजा है, जो न केवल अपने बच्चों का पालन करती है बल्कि हमें भी दूध प्रदान करती है। हमारे देश में ऐसा कोई आश्रम नहीं है जहां गाय न हो और कोई घर ऐसा नहीं है जहां गोपाल न हो।
मुख्यमंत्री ने भारतीय संस्कृति में गोवर्धन पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गोवर्धन और गोसंवर्धन का उत्सव एक ही भावना को व्यक्त करता है। गाय और मानव का वंश अलग नहीं हो सकता, ये दोनों एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। आज के समाज में कुपोषण एक गंभीर समस्या बन गई है, जबकि पूर्व में ऐसी कोई समस्या नहीं थी।
उन्होंने आगे कहा कि पहले हमारे यहां कुपोषण का नामों-निशान नहीं था। जिन घरों में गाय होती है, वे परिवार स्वस्थ रहते हैं, जो रोज गाय के दूध और घी का सेवन करते हैं। वे अपनी कई बीमारियों को भी समाप्त करते हैं। गौ माता का संरक्षण हमारे जीवन को सुरक्षित करता है।
गायों के संवर्धन के लिए समाज और सरकार के सहयोग पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों मिलकर गौशालाएं संचालित करें, जिससे ये गौ मंदिर के रूप में दुनिया में दिख सकें। राज्य में गोवर्धन पर्व पर विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन चल रहा है। अनेक गौशालाओं में गायों की पूजा हो रही है। गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाई गई है और इस अवसर पर विशेष आयोजनों का संचालन किया जा रहा है।