क्या संघ हिंदुओं के संरक्षण के पक्ष में है पर मुसलमानों का विरोधी नहीं?: मोहन भागवत
सारांश
Key Takeaways
- आरएसएस मुस्लिम विरोधी नहीं है.
- संघ का दरवाजा सभी के लिए खुला है.
- साम्प्रदायिक सद्भावना की आवश्यकता है.
- राजनीतिक षड्यंत्र से सावधान रहना चाहिए.
- संस्कृति और राष्ट्र की एकता महत्वपूर्ण है.
कोलकाता, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत 4 दिवसीय पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं। रविवार को उन्होंने कोलकाता के साइंस सिटी सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आरएसएस मुस्लिम विरोधी नहीं है। जो देखना चाहते हैं, वे आकर देख सकते हैं। आरएसएस का दरवाजा हमेशा खुला रहा है।
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ‘कोलकाता व्याख्यानमाला तृतीय सत्र– 100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज’ कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि धारणा है कि संघ मुस्लिम विरोधी है, जबकि संघ में कोई दरवाजा बंद नहीं है। कभी आकर आरएसएस को देखिए। अगर लगता है कि हम मुस्लिम विरोधी हैं, तो ऐसी धारणा बनाइए।
उन्होंने आगे कहा कि अगर आपको संघ मुस्लिम विरोधी लगता है, तो आप अपनी धारणा बदलिए। मैं कहता हूं कि अब समझाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि समझने के लिए आपके सामने बहुत कुछ मौजूद है और जिसे नहीं समझना है, उसे समझाकर कोई फायदा नहीं है। अगर जानना है तो आकर देखिए, उसके बाद जैसी भी आपकी राय बनती है, बना लीजिए।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मैं चैलेंज करता हूं कि आकर आरएसएस को देखिए। बहुत लोग हमें देखने के लिए आए हैं और देखकर उन्होंने माना है कि आप लोग मुस्लिम विरोधी नहीं हैं। आप लोग कट्टर राष्ट्रवादी हैं और हिंदुओं के संरक्षण के पक्ष में हैं, लेकिन मुसलमानों के विरोधी नहीं हैं।
मोहन भागवत ने कहा कि मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि पूजा-पद्धति से वे अलग हैं, लेकिन संस्कृति, राष्ट्र और समाज के नाते एक ही बड़ी इकाई के अंग हैं। बस यह समझने से सब ठीक हो जाएगा। इसके अलावा कोई बड़ी समस्या नहीं है।
उन्होंने कहा कि एक झगड़ा शुरू हुआ और अंत में मामला कोर्ट के पास गया। कोर्ट ने लंबे समय तक विचार करने के बाद निर्णय दिया और वहां राम मंदिर बन गया। मंदिर-मस्जिद वाला झगड़ा समाप्त हो गया।
उन्होंने कहा कि अब फिर से बाबरी मस्जिद बनाकर उस झगड़े को शुरू किया जा रहा है। यह राजनीतिक षड्यंत्र है। यह सिर्फ वोट के लिए हो रहा है। न यह मुसलमानों के लिए है और न ही हिंदुओं की भलाई के लिए। झगड़ा खत्म हो रहा है और अच्छी सद्भावना बनेगी, लेकिन इस तरह फिर से खाई को चौड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए।