क्या मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की दोषसिद्धि पर रोक लग गई है?

Click to start listening
क्या मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की दोषसिद्धि पर रोक लग गई है?

सारांश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी की दोषसिद्धि पर रोक लगाई है, जिससे उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ हो गया है। यह निर्णय उनके राजनीतिक भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा। जानिए इस मामले की पूरी जानकारी।

Key Takeaways

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी की दोषसिद्धि पर रोक लगाई है।
  • सदस्यता बहाली की प्रक्रिया शुरू होगी।
  • कोर्ट ने सेशन कोर्ट के आदेश को गलत ठहराया।
  • अब्बास अंसारी ने मऊ कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
  • राजनीतिक भविष्य पर यह निर्णय महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।

प्रयागराज, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से महत्वपूर्ण राहत मिली है। हाईकोर्ट ने बुधवार को मऊ की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके फलस्वरूप अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

अब्बास अंसारी ने मऊ कोर्ट के निर्णय को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस के बाद 30 जुलाई को निर्णय सुरक्षित रखा था। बुधवार को हाईकोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि के निर्णय को पलट दिया, जिससे उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल होगी।

वकील उपेंद्र उपाध्याय ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के आदेश को गलत ठहराया है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि उन्हें (अब्बास अंसारी) को दो साल की सजा सुनाई गई थी, जिस पर रोक लगाई जाती है।"

2022 विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण के मामले में अब्बास अंसारी के खिलाफ मऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाया था। उस चुनाव में अब्बास अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। हालांकि, इसी वर्ष जून में मऊ कोर्ट का फैसला आया, जिसमें अब्बास अंसारी को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई गई।

कोर्ट ने अब्बास अंसारी पर जुर्माना भी लगाया था। हालाँकि, उसी दिन अदालत से जमानत मिलने के कारण अब्बास अंसारी जेल जाने से बच गए। लेकिन कोर्ट के निर्णय के आधार पर 1 जून 2025 को अब्बास अंसारी की विधायकी समाप्त हो गई थी। इस संबंध में उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने आदेश जारी किया। उन्होंने अब्बास अंसारी की मऊ सदर सीट को रिक्त घोषित करते हुए उपचुनाव कराने का सुझाव भारत निर्वाचन आयोग को भेजा था।

अब्बास अंसारी ने मऊ की सेशन कोर्ट में अपील की थी, लेकिन 5 जुलाई को उनकी अपील खारिज कर दी गई। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था।

Point of View

यह निर्णय राजनीति में न्याय का एक प्रतीक है। यह दिखाता है कि कानून सबके लिए समान है और न्यायपालिका स्वतंत्र रूप से काम करती है। यह स्थिति अब्बास अंसारी के भविष्य को प्रभावित कर सकती है लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि न्याय का मार्ग कभी-कभी जटिल होता है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

अब्बास अंसारी को कितने साल की सजा सुनाई गई थी?
उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है।
अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता कब बहाल होगी?
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता जल्द ही बहाल हो जाएगी।
क्या अब्बास अंसारी की दोषसिद्धि का मामला अभी खत्म हो गया?
हाईकोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाई है, लेकिन मामला आगे भी कोर्ट में चल सकता है।