क्या मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने जस्टिस सूर्यकांत को अपना उत्तराधिकारी चुना?

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क्या मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने जस्टिस सूर्यकांत को अपना उत्तराधिकारी चुना?

सारांश

भारत में एक महत्वपूर्ण न्यायिक बदलाव की ओर कदम बढ़ाते हुए, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने जस्टिस सूर्यकांत को अपने उत्तराधिकारी के रूप में नामांकित किया है। यह निर्णय कानून मंत्रालय के अनुरोध पर लिया गया है। जानिए इस बदलाव के पीछे की प्रक्रिया और जस्टिस सूर्यकांत की न्यायिक यात्रा के बारे में।

Key Takeaways

  • जस्टिस सूर्यकांत को मुख्य न्यायाधीश के रूप में नामांकित किया गया है।
  • मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।
  • जस्टिस सूर्यकांत की शपथ 24 नवंबर को होगी।
  • उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने होगा।
  • जस्टिस सूर्यकांत ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत की है।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस सूर्यकांत का नाम कानून मंत्रालय को भेजा है। इस संदर्भ में उन्होंने एक औपचारिक चिट्ठी लिखी है। यह कदम उस समय उठाया गया जब हाल ही में कानून मंत्रालय ने जस्टिस गवई से उनके उत्तराधिकारी का नाम बताने का अनुरोध किया था।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत, जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और वरिष्ठता में पहले स्थान पर हैं, जस्टिस गवई के सेवानिवृत्त होने पर उनकी जगह लेंगे।

जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, और उनके रिटायर होने के अगले दिन, 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने होगा, और वे 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे।

जस्टिस गवई ने मई 2025 में भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला।

परंपरा के अनुसार, कानून मंत्रालय मुख्य न्यायाधीश से उनकी सेवानिवृत्ति से लगभग एक महीने पहले उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगता है। इसके बाद, वर्तमान चीफ जस्टिस औपचारिक रूप से लगभग 30 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को 'पद धारण करने के लिए उपयुक्त' मानते हुए उनकी सिफारिश करते हैं।

न्यायिक नियुक्तियों के मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश, जिन्हें इस पद के लिए उपयुक्त माना जाता है, को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है।

सीजेआई गवई की सिफारिश भेजे जाने के बाद, सरकार जल्द ही जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्ति की अधिसूचना जारी करने की उम्मीद कर रही है।

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उन्होंने 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से स्नातक की डिग्री और 1984 में रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। जस्टिस सूर्यकांत के बारे में सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, उन्होंने हिसार जिला न्यायालय से वकालत शुरू की और बाद में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत करने के लिए चंडीगढ़ चले गए।

जस्टिस सूर्यकांत 7 जुलाई 2000 को हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बने। मार्च 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। 9 जनवरी 2004 को उन्हें पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

उन्होंने 5 अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला और 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। 12 नवंबर 2024 से वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेस कमिटी के अध्यक्ष भी हैं।

Point of View

बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि शीर्ष न्यायालय में अनुभव और योग्यताओं का उचित प्रतिनिधित्व हो। इस फैसले से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को और भी मजबूती मिलेगी।
NationPress
27/10/2025

Frequently Asked Questions

जस्टिस सूर्यकांत कौन हैं?
जस्टिस सूर्यकांत वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और उन्हें भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नामांकित किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई कब रिटायर हो रहे हैं?
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।
जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल कितने समय का होगा?
जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा।
जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी शिक्षा कहां से प्राप्त की?
जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी स्नातक की डिग्री हिसार के गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से और कानून की डिग्री महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
जस्टिस सूर्यकांत की प्रमुख उपलब्धियां क्या हैं?
जस्टिस सूर्यकांत हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल रह चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए हैं।