क्या मुंबई में स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध गलत है?

सारांश
Key Takeaways
- स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध का निर्णय विवादास्पद है।
- हुसैन दलवई ने इसे गलत करार दिया है।
- तिरंगा फहराने के लिए आदेश का पालन होना चाहिए।
- हर किसी को खाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
- राजनीतिक दृष्टिकोण से यह मुद्दा महत्वपूर्ण है।
मुंबई, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कल्याण-डोंबिवली नगर निगम (केडीएमसी) द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेश को कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने अनुचित बताया।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यह एक गलत निर्णय है। 15 अगस्त को देश की स्वतंत्रता का दिन है, जिसे लोग उत्सव के रूप में मनाते हैं। जो लोग मटन का सेवन करते हैं, वे इस दिन भी मटन खाएंगे, इससे आपको क्या फर्क पड़ता है? यह मांसाहारी खाने वालों के खिलाफ एक नकारात्मक वातावरण बनाने की कोशिश है। इस आदेश में देशभक्ति का कोई तत्व नहीं है।
छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड ने सभी मस्जिदों, दरगाहों और मदरसों में स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने का निर्देश दिया है।
कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने कहा कि कई स्थानों पर मस्जिदों और मदरसों में तिरंगा फहराया जाता है, और यह उचित भी है। लेकिन यह आदेश देने का हक किसने दिया कि झंडा कहाँ फहराया जाए और कहाँ नहीं? पहले आरएसएस से कहें कि वे अपने मुख्यालय पर तिरंगा फहराएं।
दलवई ने भाजपा की तिरंगा यात्रा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं इससे खुश हूं क्योंकि उन्होंने हमेशा तिरंगे का विरोध किया है। तिरंगे का रंग हरा है, और उन्होंने हमेशा हरे रंग के खिलाफ बात की है। अब जब वे तिरंगा लेकर परेड कर रहे हैं, तो यह एक सकारात्मक बदलाव है। तिरंगे में अशोक चक्र का भाजपा ने हमेशा विरोध किया है। भाजपा केवल दिखावा कर रही है। तिरंगा कांग्रेस का प्रतीक है। 26 जनवरी और 15 अगस्त को कांग्रेस पार्टी अपने क्षेत्रों में यात्राएं निकालती रही है।
उन्होंने मुंबई के कबूतर खाने विवाद पर कहा कि मैं किसी भी परिंदे के खिलाफ नहीं हूं। परिंदों को खाना खिलाना और उनसे प्रेम करना एक अच्छी बात है। इन्हें बस्तियों में नहीं रखा जाना चाहिए।