क्या मैसूर ड्रग फैक्ट्री मामले में 'शर्ट की फोटो' के जरिए तस्करी होती थी?

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क्या मैसूर ड्रग फैक्ट्री मामले में 'शर्ट की फोटो' के जरिए तस्करी होती थी?

सारांश

कर्नाटक के मैसूर में पकड़ी गई 434 करोड़ रुपए की ड्रग्स फैक्ट्री ने मुंबई की साकीनाका पुलिस को चौंका दिया है। तस्करी के लिए 'शर्ट की फोटो' का इस्तेमाल किया गया। यह मामला स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है। जानिए पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • 434 करोड़ रुपए की ड्रग्स फैक्ट्री पकड़ी गई है।
  • तस्करों ने 'शर्ट की फोटो' का इस्तेमाल किया।
  • यह नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय हो सकता है।
  • पुलिस और आईबी इस मामले की जांच कर रही हैं।
  • तस्करी का तरीका बेहद गुप्त था।

मुंबई, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक के मैसूर में पकड़ी गई 434 करोड़ रुपए की ड्रग्स फैक्ट्री के मामले में मुंबई की साकीनाका पुलिस ने जांच के दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस मामले में महाराष्ट्र तक ड्रग्स की तस्करी के लिए एक अनोखा और बेहद गुप्त तरीका अपनाया गया था। पुलिस के मुताबिक, इस नेटवर्क में 'शर्ट की फोटो' को कोडवर्ड के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था।

जांच में सामने आया कि ड्रग्स की सप्लाई और निर्माण की प्रक्रिया दो अलग-अलग गिरोहों द्वारा अंजाम दी जा रही थी। सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि इन दोनों गैंग के सदस्य एक-दूसरे को जानते तक नहीं थे। यही इस पूरे ऑपरेशन की सबसे खतरनाक और शातिर 'मॉडस ओपेरेंडी' थी। इस तरह की व्यवस्था से नेटवर्क की परतें खोलना बेहद मुश्किल हो जाता है।

साकीनाका पुलिस स्टेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मैसूर में तैयार की गई एमडी ड्रग्स की खेप को एक गैंग सबसे पहले बेंगलुरु पहुंचाता था। वहां मुंबई गैंग का एक सदस्य पहले से मौजूद होता था। इसके बाद खेप लाने वाले व्यक्ति को एक शर्ट की फोटो व्हाट्सएप पर भेजी जाती थी, ताकि वह व्यक्ति उसी शर्ट को देखकर सही व्यक्ति को माल सौंप सके। इस तरह खेप को बेंगलुरु से मुंबई तक लाया जाता था। यहां इसे मुंबई के विभिन्न इलाकों में स्थानीय सप्लायर्स के जरिए वितरित किया जाता था। ड्रग्स का पूरा ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम सड़क मार्ग पर आधारित था, ताकि हवाई या ट्रेन मार्गों में होने वाली जांच से बचा जा सके।

पुलिस जांच में सामने आया है कि यह नेटवर्क ड्रग्स को बसों और निजी वाहनों के माध्यम से ट्रांसपोर्ट करता था। मैसूर से बेंगलुरु और फिर मुंबई तक का सफर तय कर ड्रग्स को छिपाकर पहुंचाया जाता था। इस तरह की रणनीति से सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने में काफी हद तक सफलता भी मिली।

इस मामले में अब इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की भी एंट्री हो चुकी है। सोमवार को आईबी अधिकारियों ने गिरफ्तार आरोपियों से लंबी पूछताछ की। जांच एजेंसियों को शक है कि यह ड्रग्स फैक्ट्री सिर्फ स्थानीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क का हिस्सा हो सकती है। साथ ही यह भी आशंका है कि इसका लिंक अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी से भी हो सकता है।

साकीनाका पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां अब इस ऑपरेशन के पीछे की पूरी चेन, फंडिंग सोर्स, मास्टरमाइंड और सप्लायर्स नेटवर्क को खंगालने में जुट गई हैं।

Point of View

यह मामला हमारे समाज और सुरक्षा तंत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी है। ड्रग्स तस्करी का यह नेटवर्क न केवल स्थानीय है, बल्कि इसके अंतरराष्ट्रीय संबंध भी हो सकते हैं। हमें इस विषय पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
NationPress
05/08/2025

Frequently Asked Questions

मैसूर ड्रग फैक्ट्री मामला क्या है?
यह मामला कर्नाटक के मैसूर में पकड़ी गई 434 करोड़ रुपए की ड्रग्स फैक्ट्री से संबंधित है, जहां तस्करों ने 'शर्ट की फोटो' का उपयोग किया।
इस तस्करी में कौन-कौन शामिल थे?
इस तस्करी में दो अलग-अलग गिरोह शामिल थे, जो एक-दूसरे को नहीं जानते थे।
क्या यह मामला अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क से जुड़ा है?
हां, जांच एजेंसियों का मानना है कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है।
इस मामले में कौन सी एजेंसियां जांच कर रही हैं?
इस मामले में साकीनाका पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) शामिल हैं।
तस्करी का तरीका क्या था?
तस्करी के लिए 'शर्ट की फोटो' को कोडवर्ड के रूप में इस्तेमाल किया गया था।