क्या राजस्थान के नागौर में सरकारी स्कूल की छत गिरी?

सारांश
Key Takeaways
- Nagaur में स्कूल की छत गिरने से कोई हताहत नहीं हुआ।
- इस घटना ने राजस्थान में शिक्षा प्रणाली की जर्जर स्थिति को उजागर किया है।
- Jhalawar में पहले ही 7 बच्चों की जान जा चुकी है।
- विपक्ष ने सरकार पर तीखे हमले किए हैं।
नागौर, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के झालावाड़ के स्कूल में हुए भयानक हादसे के बाद नागौर में भी एक स्कूल की छत गिरने की घटना सामने आई है। यह घटना शनिवार को नागौर के डेगाना विधानसभा क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक विद्यालय, खरिया की ढाणी (खारियावास) में हुई। राहत की बात यह रही कि जब यह हादसा हुआ, उस समय स्कूल में बच्चे मौजूद नहीं थे।
इस घटना के बाद विपक्ष ने राज्य सरकार पर तीखे हमले किए हैं। कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर स्कूल की तस्वीर साझा करते हुए लिखा है, ''राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से कई बच्चों की जान चली गई। अब नागौर में भी एक स्कूल की छत गिर गई। गनीमत रही कि बच्चे वहां नहीं थे, वरना स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी। ये घटनाएँ दर्शाती हैं कि भाजपा सरकार भ्रष्टाचार में डूबी है और सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है।''
आम आदमी पार्टी (आप) ने भी राजस्थान सरकार पर सवाल उठाए हैं। 'आप' ने कहा, "राजस्थान में एक और स्कूल की छत गिरी। झालावाड़ में हुई भयानक घटना में कई बच्चों की जान गई थी और अब नागौर में भी एक बड़ा हादसा होते-होते बच गया। यहां के प्राथमिक स्कूल की भी छत गिर गई। यह तो गनीमत थी कि उस समय बच्चे और शिक्षक प्रार्थना के लिए मैदान में खड़े थे।"
सोशल मीडिया पर आम आदमी पार्टी ने आगे लिखा, "प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों की इमारतें जर्जर हैं, लेकिन भाजपा सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है। उसे केवल अपने आलीशान दफ्तर बनाने से मतलब है।"
इससे पहले, झालावाड़ में हुए दर्दनाक घटना में 7 बच्चों की जान चली गई थी। झालावाड़ जिले के मनोहरथाना इलाके के पिपलोदी गांव स्थित सरकारी स्कूल में शुक्रवार सुबह बच्चे प्रार्थना के लिए खड़े हुए थे। तभी अचानक से छत गिर गई और सभी बच्चे मलबे में दब गए। स्थानीय लोगों की मदद से अधिकांश बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन 7 बच्चों की मौत हो गई। कुछ बच्चे घायल हुए थे, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस घटना के बाद राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जांच कराने का आश्वासन दिया था। हालाँकि, नागौर की घटना ने राज्य के स्कूलों की जर्जर स्थिति को उजागर कर दिया है।